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Dussehra 2019: रावण कैसे बना दशानन? जानें उसके 10 सिरों के क्या हैं मायने

Dussehra 2019 Story of Dashanan 10 heads of Ravana meaning कहा जाता है कि रावण के 10 सिर थे हर सिर के अलग-अलग ​अ​र्थ थे। दशहरा के अवसर हम आज जानते हैं रावण से जुड़ी ऐसी ही बाते

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 12:17 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 12:18 PM (IST)
Dussehra 2019: रावण कैसे बना दशानन? जानें उसके 10 सिरों के क्या हैं मायने
Dussehra 2019: रावण कैसे बना दशानन? जानें उसके 10 सिरों के क्या हैं मायने

Dussehra 2019 Story of Dashanan: दशहरा का त्योहार हम असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। इस दिन देशभर में रावण दहन का आयोजन होता है। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। लंका के राजा रावण को हम बुराई का प्रतीक मानते हैं, उसके जीवन सी जुड़ी ऐसी कई बाते हैं जिसके बारे में जानना काफी रोचक है। कहा जाता है कि रावण के 10 सिर थे, हर सिर के अलग अलग ​अ​र्थ थे। दशहरा के अवसर हम आज जानते हैं रावण से जुड़ी ऐसी ही बातों के बारे में —

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1. रावण कैसे बना दशानन

दशानन का अर्थ है- जिसके 10 सिर हों। कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने वर्षों तक कठोर तप किया लेकिन भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए। इसके बाद रावण ने भगवान शिव को अपना सिर अर्पित करने का निर्णय लिया।

भगवान शिव की भक्ति में लीन रावण ने अपना सिर काटकर भोलेनाथ को अर्पित कर दिया, लेकिन उसकी मृत्यु नहीं हुई। उसकी जगह दूसरा सिर आ गया। ऐसे एक-एक करके रावण ने अपने 9 सिर भगवान शिव को ​अर्पित कर दिए।

जब 10वीं बार उसने अपना सिर भगवान को अर्पित करना चाहता तभी भगवान शिव वहां प्रकट हो गए। वे रावण की भक्ति से काफी प्रसन्न हुए। इसलिए रावण को भगवान शिव का परम भक्त कहा जाता है।

2. रावण के 10 सिर हैं इन बुराइयों के प्रतीक

रावण के 10 सिर के 10 अर्थ हैं या ये कहें कि वे 10 बुराइयों के प्रतीक माने जाते हैं। पहला काम, दूसरा क्रोध, तीसरा लोभ, चौथा मोह, पांचवां मादा (गौरव), छठां ईर्ष्या, सातवां मन, आठवां ज्ञान, नौवां चित्त और दसवां अहंकार।

3. नहीं थे रावण के 10 सिर

कुछ लोगों का मानना है कि रावण के 10 सिर नहीं थे। वह 10 सिर हाने का भ्रम पैदा करता था, इसलिए दशानन कहलाता था। जैन शास्त्रों के अनुसार, रावण के गले में 9 मणियों की माला थी, उन मणियों में उसका सिर दिखता था जिससे दूसरों को 10 सिर होने का भ्रम पैदा हो जाता था।

कुछ लोग ये भी मानते हैं कि रावण बहुत विद्वान था, उसे 6 दर्शन और 4 वेद कंठस्थ थे, इसलिए उसका नाम दसकंठी भी था। बाद दसकंठी को ही लोगों ने दस सिर मान लिया।

4. आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ था रावण वध

रामचरितमानस में भी दशानन की चर्चा है। बताया जाता है कि वह भगवान राम से युद्ध के लिए आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को निकला था, हर दिन उसका एक सिर कट जाता था। 10वें दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को उसका वध हुआ। इस वजह से ही दशमी के दिन रावण दहन होता है और दशहरा मनाते हैं।


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