दुर्गा के रूप में मां सभी संकटों की निवारक हैं
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के हर स्वरूप में शक्ति के रूप में देवी ही विराजती हैं। इस तरह वह निराकार और साकार दोनों रूपों में हैं।
मंदिर या तीर्थ स्थान पर दुर्गा के स्थूल रूप को हम देखते हैं, लेकिन मेरे विचार से हर स्त्री में दुर्गा है। हर कन्या में दुर्गा है। ज्ञान भी दुर्गा है। जहां भी हम सात्विक शक्तियों को देखते हैं, वहीं दुर्गा का वास है। कला, संगीत भी दुर्गा के ही स्वरूप को प्रतिबिंबित करते हैं।
दुर्गा के रूप में वह सभी संकटों की निवारक हैं। काली के रूप में वह काल और अहंकार को मारती हैं। सरस्वती के रूप में वह ज्ञान-विज्ञान देती हैं, तो लक्ष्मी के रूप में संपत्ति और संपदा देती हैं।

ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के हर स्वरूप में शक्ति के रूप में देवी ही विराजती हैं। इस तरह वह निराकार और साकार दोनों रूपों में हैं। जब हमारा मन शक्ति के साथ एकाकार हो जाता है, तब मनुष्य के मन में धारणा, एकाग्रता की शक्ति पूर्ण हो जाती है। तभी हमारा मन ध्यान में रमने लगता है। ध्यान की पूर्ण अवस्था ही समाधि कहलाती है। नवरात्र हमें एक अवसर देता है शक्तिस्वरूपा देवी के साथ एकाकार होने का।
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