Akshay Navami 2025 Daan: अक्षय नवमी पर आंवले के साथ करें इन चीजों का दान, पूरी होगी मनचाही मुराद
अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी भी कहते हैं, कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाई जाती है। इस दिन किए गए दान, व्रत और पूजा का फल कभी समाप्त नहीं होता, इसलिए इसे 'अक्षय' कहा जाता है। भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं, अतः इस दिन आंवले की पूजा कर विष्णु और लक्ष्मी की आराधना करने से सौभाग्य, समृद्धि और स्थायी सुख मिलता है। सतयुग का आरंभ भी इसी दिन माना जाता है, जो सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। स्नान, दान और पूजन का विशेष महत्व है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

Akshaya Navami 2025 Date: अक्षय नवमी का धार्मिक महत्व
दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। अक्षय नवमी का दिन सनातन धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाया जाता है और इस दिन किए गए सभी धार्मिक कार्य जैसे दान, व्रत, जप और तप का फल कभी समाप्त नहीं होता। इसलिए इसे ‘अक्षय’ कहा गया है, जिसका अर्थ है जो नष्ट न हो।

इसे “आंवला नवमी” या “सत्य नवमी” भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष में निवास किया था। श्रद्धालु आंवले की पूजा कर विष्णु और लक्ष्मी की आराधना करते हैं, जिससे जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और स्थायी सुख की प्राप्ति होती है।
स्नान, दान और पूजन का महत्व
इस दिन स्नान, दान और पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, अक्षय नवमी पर किया गया दान कभी व्यर्थ नहीं जाता। दान का फल अनेक जन्मों तक अक्षय रहता है। इस दिन गंगा स्नान, गौदान, अन्न, वस्त्र और सोने का दान शुभ माना गया है।
गोसेवा, तुलसी पूजन और जरूरतमंदों को भोजन कराना विशेष पुण्यदायी होता है। स्त्रियां इस दिन अपने परिवार की सुख-शांति और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अक्षय नवमी पर श्रद्धा से व्रत, पूजा और दान करता है उसके जीवन में धन, सौभाग्य और धार्मिक संतुलन स्थायी रूप से बना रहता है।
सतयुग आरंभ और अक्षय नवमी का महत्व
अक्षय नवमी का गहरा संबंध सत्य, धर्म और समृद्धि से माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सतयुग का आरंभ हुआ था, इसलिए यह तिथि सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। यह दिन जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शुद्धता लाने वाला माना जाता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य, सुख और धन की प्राप्ति होती है। भक्त इस दिन विशेष रूप से आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना करते हैं, क्योंकि आंवला भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है। पूजा के बाद आंवले के नीचे भोजन करना अत्यंत शुभ होता है, जिससे घर में सौभाग्य, समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द स्थायी रूप से बना रहता है।
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।

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