Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा पितरों के मोक्ष और शांति के लिए करें ये काम, मिलेगा आशीर्वाद
Ganga Dussehra 2025 गंगा दशहरा पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पितरों के लिए तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। गंगा दशहरा के दिन गंगा घाट पर पिंडदान श्राद्ध और दीपदान करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganga Dussehra 2025: मोक्ष देने वाली मां गंगा का ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि को भागीरथ के अथक तप और प्रयास से धरती पर अवतरण हुआ था। इस साल यह पर्व 5 जून 2025 को मनाया जाएगा।
वैसे तो पितरों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए सालभर लोग गंगा नदी के तट पर जाकर दान-पुण्य और तर्पण आदि करते हैं। मगर, गंगा दशहरा के दिन अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए किए गए कर्मकांड से उनकी आत्माओं की तृप्ति होती है।
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यह है गंगा अवतरण की कहानी
पौराणिक कहानी के अनुसार, भगवान राम के पूर्वज राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को कपिल मुनि ने भस्म कर दिया था। उनकी आत्मा की शांति तभी संभव थी, जब गंगा के जल में उनका तर्पण किया जाए। इसके लिए पहले सगर के पुत्र राजा अंशुमान, फिर उनके पुत्र राजा दिलीप ने कठोर तप किया।
मगर, दोनों ही अपने प्रयास में सफल नहीं हो सके। इसके बाद राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ अपनी तपस्या से मां गंगा को धरती पर लाए। इस तरह उन्होंने अपने पूर्वजों की आत्माओं को मोक्ष और शांति दिलाई थी। इसी वजह से गंगा दशहरा पर तर्पण करने का विशेष महत्व है।
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आपको क्या करना है
गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इसके बाद दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पितृ भी संतुष्ट होते हैं। गंगा के घाट पर जाकर पिंडदान, तर्पण, दान, श्राद्ध और दीपदान करना चाहिए।
ऐसा करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें तो निश्चित तौर पर गंगा स्नान और तर्पण-अर्पण आदि जरूर करना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसा नहीं करने पर पितृ दोष वाले जातकों के घर में दुर्घटनाएं, दरिद्रता, शादी-विवाह में बाधा आना, अकाल मृत्यु जैसी परेशानियां लगी रहती हैं।
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