Rahu Dosh Upay: राहु-केतु के बुरे प्रभावों से जीना हो गया है मुश्किल, तो इन उपायों से पाएं निजात
Rahu Dosh Upay ज्योतिषियों की मानें तो राहु-केतु के बुरे प्रभावों को समाप्त करने के लिए जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। आदिशक्ति मां दुर्गा को छाया रूपेण भी कहते हैं। अतः मां दुर्गा की पूजा करने से राहु-केतु का बुरा प्रभाव क्षीण हो जाता है।

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Rahu Dosh Upay: राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं। चिरकाल में अमृत पान के समय स्वरभानु नामक असुर अमृत पीने हेतु रूप बदलकर सूर्यदेव और चंद्र देव के मध्य में जाकर बैठ गया। उस समय सूर्य देव और चंद्र देव ने स्वरभानु को पहचान लिया। इसके बाद सूर्य और चंद्र देव ने भगवान विष्णु को यह जानकारी दी कि अमृत पान करने के लिए एक असुर भी पंक्ति में बैठा है। जब तक स्वरभानु अमृत पान करता। तब तक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर स्वरभानु का वध कर दिया। हालांकि, स्वरभानु अमृत पान (अल्प मात्रा में) कर अमर हो चुका था। उस समय से राहु और केतु विपरीत दिशा में गोचर करते हैं। कुंडली में राहु-केतु के गोचर होने पर जातक को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी राहु केतु के अशुभ प्रभावों से परेशान हैं, तो ये उपाय जरूर करें। आइए जानते हैं-
राहु केतु के उपाय
- ज्योतिषियों की मानें तो राहु-केतु के बुरे प्रभावों को समाप्त करने के लिए जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। आदिशक्ति मां दुर्गा को छाया रूपेण भी कहते हैं। अतः मां दुर्गा की पूजा करने से राहु-केतु का बुरा प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके लिए नित प्रतिदिन मां दुर्गा की पूजा उपासना श्रद्धा भाव से करें।
- राहु की महादशा के दौरान किसी गरीब कन्या की शादी कराने से भी राहु-केतु के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। आप चाहे तो कन्या के विवाह में गुप्त दान भी कर सकते हैं। इससे राहु और केतु की बाधा दूर होती है।
- अगर आप राहु-केतु के बुरे प्रभावों से परेशान हैं, तो रविवार के दिन कन्याओं को हलवा, पूरी और दही का भोजन कराएं। साथ ही कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
- अगर आपकी कुंडली में केतु दोष लगा है या आप केतु के बुरे प्रभावों से परेशान हैं, तो हरे रंग का रुमाल अपने साथ हमेशा रखें। इस उपाय को करने से केतु की बाधा दूर होती है।
- ज्योतिष से सलाह लेकर शनिवार के दिन गोमेद रत्न धारण करें। इस रत्न के धारण करने से राहु का अशुभ प्रभाव क्षीण होता है।
- रोजाना जल में काले तिल, बेलपत्र और गंगाजल मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करें। इस समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। साथ ही 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें। इससे राहु-केतु दोष का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है।
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