Ghatak Kaal Sarp Dosh: कब और कैसे लगता है घातक कालसर्प दोष? इन उपायों से पाएं छुटकारा
धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। ज्योतिष कुंडली में शुक्र और चंद्रमा मजबूत करने के लिए भगवान शिव (Ghatak Kaal Sarp Dosh) की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राहु और केतु दोनों मायावी ग्रह हैं। वर्तमान समय में राहु मीन राशि में विराजमान हैं। वहीं, केतु कन्या राशि में विराजमान हैं। मई महीने में राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे। राहु और केतु के राशि परिवर्तन करने से मीन और कन्या राशि के जातकों को मायावी ग्रह से मुक्ति मिल जाएगी।
वहीं, सिंह और कुंभ राशि के जातक मायावी ग्रह से पीड़ित हो जाएंगे। आसान शब्दों में कहें तो मई महीने में राहु कुंभ राशि में गोचर करेंगे और केतु सिंह राशि में गोचर करेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि राहु और केतु किन लोगों को अधिक परेशान करते हैं और कुंडली में कब घातक कालसर्प दोष लगता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कब लगता है घातक कालसर्प दोष?
मायावी ग्रह राहु के दसवें भाव और केतु के चौथे भाव में रहने से कुंडली में घातक कालसर्प दोष बनता है। वहीं, सभी शुभ एवं अशुभ ग्रह राहु और केतु के मध्य रहते हैं। इस स्थिति में जातक घातक कालसर्प दोष से पीड़ित माना जाता है। घातक कालसर्प दोष से निवारण के लिए ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं।
पद्म कालसर्प दोष के प्रभाव
ज्योतिषियों की मानें तो घातक कालसर्प दोष से पीड़ित जातक के विवाह में देर होती है। साथ ही जीवन में ढेर सारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, मानसिक तनाव की भी समस्या होती है। कई अवसर पर जातक को सेहत संबंधी परेशानी भी होती है। किसी अनहोनी का खतरा बना रहता है।
उपाय
ज्योतिषियों का कहना है कि घातक कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए सोमवार और शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही काले तिल का दान करें। वहीं, योग्य पंडित की उपस्थिति में घातक कालसर्प दोष का निवारण अवश्य कराएं। इसके साथ ही रोजाना दो बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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