Diwali Rangoli 2020: मेन गेट पर रंगोली और दीवार पर मा लक्ष्मी के पद चिन्ह, ऐसे करें दीपोत्सव का आगाज
Diwali Rangoli 2020 दीपावली से पहले त्योहारों का सिलसिला आरंभ हो जाता है। कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर धनतेरस का पावन त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान धनवंतरी को समर्पित है। भगवान धनवंतरी को आरोग्य का देवता कहा जाता है।
Diwali Rangoli 2020: दीपावली से पहले त्योहारों का सिलसिला आरंभ हो जाता है। कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर धनतेरस का पावन त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान धनवंतरी को समर्पित है। भगवान धनवंतरी को आरोग्य का देवता कहा जाता है। भगवान धनवंतरी धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से अवतरित हुए। मान्यता के अनुसार भगवान धनवंतरी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
भगवान धनवंतरी को औषधियों का जनक भी कहा जाता है। धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी ने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए। भगवान धनवंतरी की जयंती धन और समृद्धि से संबंधित है। भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद का आचार्य भी कहा जाता है। वह देवताओं के वैद्य हैं और उन्हें माता लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी की पूजा करने से किस्मत भी चमक जाती है। भगवान धनवंतरी की उपासना से धन व आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कुबेर की पूजा भी की जाती है।
रोग, शोक से मुक्ति दिलाता है यमदीप:
धनतेरस पर यमदीप भी प्रज्वलित किया जाएगा। रोग,शोक,भय, दुर्घटना, मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस की शाम घर के बाहर यमदीप जलाने की परंपरा है। इसी दिन धनवंतरी ने सौ तरह के मृत्यु की जानकारी के साथ अकाल मृत्यु से बचाव के लिए यमदीप जलाने की बात बतायी थी।
धनत्रयोदशी के दिन सायंकाल यमराज के निमित्त दीपदान करें। इसे 'यम दीपदान' कहा जाता है। घर के मुख्य द्वार के बाहर गोबर का लेपन करें तत्पश्चात मिट्टी के 2 दीयों में तेल डालकर प्रज्वलित करें। दीये प्रज्वलित करते समय 'दीपज्योति नमोस्तुते' मंत्र का जाप करते रहें एवं अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें। धनत्रयोदशी के दिन 'यम दीपदान' करने से घर-परिवार में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है।
इस दिन लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने के साथ ही महालक्ष्मी के दो छोटे-छोट पद चिन्ह लगाए जाते हैं। धनतेरस पर माता लक्ष्मी के अलावा धन्वंतरी, कुबेर की भी पूजा की जाती है। धनवंतरी इसी तिथि को समुद्र मंथन से अवतरित हुए थे। प्राचीन काल में लोग इस दिन नए बर्तन खरीदकर उसमें क्षीर पकवान रखकर धनवंतरी भगवान को भोग लगाते थे।
दिवाली से पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर के साथ भगवान धनवंतरी की पूजा भी की जाती है। घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहे इसलिए इस दिन इनकी पूजा की जाती है।
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