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    Dhumavati Jayanti: 3 जून को है धूमावती जयंती, शत्रुओं पर विजय दिलाती हैं मां… पढ़िए कैसे करें उनकी पूजा

    Updated: Mon, 02 Jun 2025 08:20 PM (IST)

    ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मां धूमावती जयंती मनाई जाती है। इस साल यह 3 जून को है। दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती का स्वरूप भले ही विकराल हो पर वह करुणा की देवी हैं। उनकी पूजा से संतान प्राप्ति सौभाग्य और समृद्धि मिलती है।

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    Dhumavati Jayanti: उनके एक हाथ में सूप और दूसरा हाथ वरदान मुद्रा में है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dhumavati Jayanti: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती की जयंती मनाई जाती है। इस साल 3 जून 2025 को मंगलवार के दिन मां धूमावती की जयंती पड़ रही है। दस महाविद्याओं में मां धूमावती सातवीं महाविद्या हैं। उनके एक हाथ में सूप और दूसरा हाथ वरदान मुद्रा में है। 

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    मां का यह स्वरूप खुले हुए केश, कुरूप, दुबली-पतली, सफेद साड़ी पहने हुए है, जिसे देखकर काल भी डर जाए। इस रूप के होते हुए भी वह करुणा की देवी हैं। उनकी की पूजा से निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्त होती है। दुर्भाग्य और दरिद्रता दूर होता है। धन-धान्य की प्राप्ति होती है। शत्रुओं पर विजय मिलती है। 

    मां धूमावती की साधान करने से उच्चाटन, मारण, वशीकरण जैसे विद्याएं साधक को सहज ही मिल जाती है। मां के इस नामकरण और अद्वितीय शक्तियों को मिलने की एक कथा है। इसके अनुसार, जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ के अनुष्ठान में भोलेनाथ को निमंत्रण नहीं दिया, तो मां सती के वहां पहुंचने पर शिवजी का अपमान किया, तो उन्होंने यज्ञ की अग्नि में अपनी आहूति दे दी थी। 

    माता सती के धुएं से जन्मी हैं मां धूमावती

    माता सती के शरीर से निकले धुएं से मां धूमावती का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी देह से देवी उग्रचण्डिका को प्रकट किया था। वह मां का बड़ा विकराल रूप था, जो सैकड़ों गीदड़ियों की जैसी आवाज निकलाती थीं। 

    दुर्गा शप्तशती के अनुसार, मां धूमावती ने प्रतिज्ञा की थी की वह उससे विवाह करेंगी, जो युद्ध में उन्हें हार देगा। मगर, शक्ति संपन्न माता को हराने वाला कोई भी नहीं हुआ। इसलिए देवी धूमावती कुमारी हैं। उनकी साधना करने वाले को भी कोई हरा नहीं सकता है। वह अपने भक्तों को अभय का वरदान देती हैं। 

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    ऐसे करें मां की पूजा 

    • सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
    • मां धूमावती की फोटो या मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें।
    • इसके बाद मां को धूप और दीप दिखाकर नैवेद्य, फल आदि चढ़ाएं।
    • इस दौरान ‘धूं धूं धूमावती स्वाहा’ या ‘ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा’ मंत्र जपें। 
    • देवी धूमावती की कथा पढ़कर आरती करें और अपनी मनोकामना कहें। 
    • माता की सिद्धि के लिए गाय के घी में तिल मिलाकर हवन करना चाहिए। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।