Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhanteras 2025: धनतेरस पर करें ये काम, पूरे साल घर में रहेगी धन-समृद्धि

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 08:58 AM (IST)

    धनतेरस (Dhanteras 2025 Date) दीवाली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन है। यह हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन कुबेर मां लक्ष्मी और धन्वंतरि जी की पूजा का विधान है। इस दिन सोना-चांदी और नए बर्तन खरीदना शुभ होता है।

    Hero Image
    Dhanteras 2025: धनतेरस पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dhanteras 2025: धनतेरस का पावन पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का पहला दिन है। इस दिन धन के देवता कुबेर, धन की देवी मां लक्ष्मी और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। वैसे तो इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, नए बर्तन, और झाड़ू खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है, लेकिन एक ऐसा एक काम है जो धनतेरस की शाम को जरूर करना चाहिए, जिससे आपके घर में पूरे साल धन और समृद्धि बनी रहती है। दरअसल, इस शुभ दिन पर कुबेर जी के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिर उनका ध्यान करते हुए उन्हें खीर का भोग लगाना चाहिए। फिर कुबेर चालीसा का पाठ करके उनकी आरती करनी चाहिए। इससे धन से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं।

    ॥कुबेर चालीसा॥

    ॥ दोहा ॥

    जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर ।

    ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर ॥

    विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।

    भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥

    ॥ चौपाई ॥

    जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥

    तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥

    स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥

    यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥

    महा योद्धा बन शस्त्र धारैं । युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥

    सदा विजयी कभी ना हारैं । भगत जनों के संकट टारैं ॥

    प्रपितामह हैं स्वयं विधाता । पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥

    विश्रवा पिता इडविडा जी माता । विभीषण भगत आपके भ्राता ॥

    शिव चरणों में जब ध्यान लगाया । घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥

    शिव वरदान मिले देवत्य पाया । अमृत पान करी अमर हुई काया ॥

    धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में । देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥

    पीताम्बर वस्त्र पहने गात में । बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥

    स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं । त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥

    शंख मृदंग नगारे बाजैं । गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥

    चौंसठ योगनी मंगल गावैं । ऋद्धि-सिद्धि नित भोग लगावैं ॥

    दास दासनी सिर छत्र फिरावैं । यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥

    ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं । देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं

    पुरुषों में जैसे भीम बली हैं । यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥

    भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं । पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥

    नागों में जैसे शेष बड़े हैं । वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥

    कांधे धनुष हाथ में भाला । गले फूलों की पहनी माला ॥

    स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला । दूर-दूर तक होए उजाला ॥

    कुबेर देव को जो मन में धारे । सदा विजय हो कभी न हारे ॥

    बिगड़े काम बन जाएं सारे । अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥

    कुबेर गरीब को आप उभारैं । कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥

    कुबेर भगत के संकट टारैं । कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥

    शीघ्र धनी जो होना चाहे । क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥

    यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं । दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥

    भूत प्रेत को कुबेर भगावैं । अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥

    रोग शोक को कुबेर नशावैं । कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥

    कुबेर चढ़े को और चढ़ादे । कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥

    कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे । कुबेर भूले को राह बता दे ॥

    प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे । भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥

    रोगी का रोग कुबेर घटा दे । दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥

    बांझ की गोद कुबेर भरा दे । कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥

    कारागार से कुबेर छुड़ा दे । चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥

    कोर्ट केस में कुबेर जितावै । जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥

    चुनाव में जीत कुबेर करावैं । मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥

    पाठ करे जो नित मन लाई । उसकी कला हो सदा सवाई ॥

    जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई । उसका जीवन चले सुखदाई ॥

    जो कुबेर का पाठ करावै । उसका बेड़ा पार लगावै ॥

    उजड़े घर को पुन: बसावै । शत्रु को भी मित्र बनावै ॥

    सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई । सब सुख भोद पदार्थ पाई ॥

    प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई । मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥

    ॥ दोहा ॥

    शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।

    हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥

    कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।

    शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ॥

    नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।

    तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥

    मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।

    अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

    यह भी पढ़ें: Dhanteras 2025: सोना-चांदी ही नहीं, धनतेरस पर इन चीजों को खरीदना भी मानते हैं शुभ

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।