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    Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी पर इस विधि से करें श्री हरि का अभिषेक, धन में होगी अपार वृद्धि

    देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक इस दिन कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही परिवार में बरकत बनी रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 12 Jul 2024 09:43 AM (IST)
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    Devshayani Ekadashi 2024: भगवान विष्णु का अभिषेक ऐसे करें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म के सबसे पवित्र व्रतों में से एक देवशयनी एकादशी का व्रत माना गया है। यह एकादशी अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। इस तिथि पर लोग श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस कठिन व्रत का पालन करते हैं, उन्हें श्री हरि का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही उनके जीवन में खुशहाली आती है।

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    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) का व्रत 17 जुलाई, 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा, तो चलिए इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु का अभिषेक कैसे करना है, उसकी विधि जानते हैं -

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    भगवान विष्णु का अभिषेक ऐसे करें

    • सबसे पहले प्रात: उठकर पवित्र स्नान करें।
    • इसके बाद अपने घर व मंदिर को अच्छी तरह साफ करें।
    • एक पीतल के थाल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • फिर शंखनाद के साथ पूजा शुरू करें।
    • पंचामृत से अभिषेक करें।
    • फिर शुद्ध व गंगाजल से अभिषेक करें।
    • बेल पत्र, पुष्प, और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें।
    • इसके बाद धूप और दीप से भाव के साथ आरती करें।
    • श्री हरि का ध्यान करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें।
    • तामसिक चीजों से दूर रहें।
    • व्रती अगले दिन अपने व्रत का पारण करें।

    भगवान विष्णु स्तुति

    शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

    विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।

    लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

    वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।।

    यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

    सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

    ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

    यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।