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    व्यवहार की शालीनता

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    Updated: Tue, 17 Dec 2013 01:00 PM (IST)

    सद्व्यवहार उस पुष्प के समान है जो धवल और दृढ़ चरित्र रूपी वृक्ष पर खिलता है। व्यवहार की शालीनता न केवल अन्य व्यक्तियों को प्रसन्न करती है, बल्कि शालीन व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को भी आनंदित करती है। प्रख्यात विचारक और मनीषी श्रीअरविंद का कहना था कि जीवन के समस्त बाहरी क्रियाकलाप व व्यवहार अंदर (अंतर्मन) से नियंत्रित और संचालित होते हैं

    सद्व्यवहार उस पुष्प के समान है जो धवल और दृढ़ चरित्र रूपी वृक्ष पर खिलता है। व्यवहार की शालीनता न केवल अन्य व्यक्तियों को प्रसन्न करती है, बल्कि शालीन व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को भी आनंदित करती है।

    प्रख्यात विचारक और मनीषी श्रीअरविंद का कहना था कि जीवन के समस्त बाहरी क्रियाकलाप व व्यवहार अंदर (अंतर्मन) से नियंत्रित और संचालित होते हैं। नि:संदेह वाह्य व्यवहार आंतरिक चिंतन व भावनाओं के गर्भ से ही जन्म लेते हैं, पल्लवित व विकसित होते हैं।

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    व्यवहार विज्ञान इसी सत्य को घोषित करता है। व्यवहार शिष्टता, शालीनता, विनम्रता, मर्यादा, नैतिकता, ईमानदारी आदि अनेक गुणों का समुच्चय है। जिसमें भी यह अनमोल संपदा होगी उसका लोक व्यवहार अवश्य ही उत्कृष्ट होगा। ऐसे व्यवहार कुशल व्यक्ति की सफलता असंदिग्ध होती है। सफलता उसके चरण चूमती है और उसके लिए तो असफलता भी एक सीख होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसी से वह अपनी व्यावहारिक कमियों के प्रति सजग व सतर्क होता है।

    व्यवहार ही तो है जो अपने को पराया और पराये को अपना कर चमत्कार कर दिखाता है। मधुर व्यवहार से पशु-पक्षी तक प्रभावित हो जाते हैं तो फिर इंसान का दिल क्यों नहीं जीता जा सकता।

    जैसे-जैसे अंतस परिष्कृत होता जाता है उसी के अनुरूप व्यवहार भी उत्कृष्ट होता रहता है। यह तो सीप के मोती के समान है, जो सागर की गहराई में स्थित होता है। इसी प्रकार व्यवहार की सच्चाई उन छोटी-छोटी आदतों-वृत्तियोंकी सीपियों में बंद पड़ी रहती है जिन्हें स्वयं के अंदर प्रवेश करके और साहस के साथ तोड़कर निकाला जाता है। इन छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण बातों का सतत ध्यान रखना चाहिए। संयमित व कल्याणकारी वाणी व्यवहार की बुनियाद है। यह मुख्य आधार है। वाणी ब्रह्मास्त्र के समान होती है। वाणी द्वारा ही व्यवहार बनता-बिगड़ता है और वाणी द्वारा ही व्यक्तित्व निखरता है। यही संपूर्ण सच है कि सद्व्यवहार हृदय को विशाल बनाता है। इस कारण दिल में संवेदना और भावना उफनती रहती है। ऐसे व्यक्ति में ईष्र्या-द्वेष आदि नकारात्मक गुण नहीं होते। इस प्रकार के नकारात्मक गुण व्यक्ति की प्रगति की संभावनाओं को धूमिल करते हैं।

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