Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    December Pradosh Vrat 2025: साल के अंतिम प्रदोष व्रत में करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा शिव जी का आशीर्वाद

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 06:20 PM (IST)

    साल 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत (December Pradosh Vrat 2025) 17 दिसंबर को पड़ रहा है, जिसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। यह व्रत करने से बुद्धि, ज्ञान और स ...और पढ़ें

    Hero Image

    December Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत में करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। December Pradosh Vrat 2025: साल का अंतिम प्रदोष व्रत 17 दिसंबर 2025, बुधवार को पड़ रहा है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है और त्रयोदशी तिथि होने के कारण यह व्रत बहुत फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह बुधवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा, जिससे साधक को बुद्धि, ज्ञान और संतान सुख की प्राप्ति होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस पवित्र दिन पर अगर आप भगवान शिव के लिंगाष्टकम और श्रीशिवपञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो उनकी कृपा जल्द मिलती है और जीवन के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए करते हैं।

    puja-(19)(10)-(1)-1760349889693

    ।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।

    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

    जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

    देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

    रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥

    सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।

    सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

    कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।

    दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥

    कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।

    सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

    देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।

    दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

    अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।

    अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥

    सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

    परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

    लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

    ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

    नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

    भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

    तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥॥

    मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

    नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

    मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

    तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥॥

    शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

    सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

    श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

    तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥॥

    वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

    मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

    चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

    तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥॥

    यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

    पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

    दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

    तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥

    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

    यह भी पढ़ें- Paush Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी पर करें माता लक्ष्मी की खास पूजा, होगा कल्याण

    यह भी पढ़ें- Paush Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी पर भूल से भी न करें ये गलतियां, घर में होगा दरिद्रता का वास

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।