Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव की पूजा के समय करें मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात
प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष माह का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। अतः यह शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2024) कहलाएगा। शुक्र प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 दिसंबर को मार्गशीर्ष महीने का अंतिम प्रदोष व्रत है। यह पर देवों के देव महादेव भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2024) पर स्नान-ध्यान के बाद भक्ति भाव से भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में मंगल ही मंगल होता है।
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शिव प्रदोष स्तोत्र
जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।
जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।
जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।
महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।
ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।
दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।
दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।
ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।
शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।।
दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।
एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।
ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।
शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।
योग
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के अंतिम प्रदोष व्रत पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस शुभ अवसर पर दुर्लभ शिव और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
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