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    अन्नदान से लेकर अभयदान तक, शास्त्रों में बताए गए हैं 4 प्रकार के दान, जानिए कौन-सा है श्रेष्ठ?

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 01:48 PM (IST)

    हिंदू धर्म ग्रंथों में दान को अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। दान का अर्थ होता है कि प्रदान की गई वस्तु पर से अपना अधिकार समाप्त करना। दान करने से कई आ ...और पढ़ें

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    दान के प्रकार और लाभ (AI Generated Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर लोग गरीब व जरूरतमंद लोगों को, मंदिर या भी किसी धार्मिक कार्यक्रम आदि में दान करते हैं, जिससे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में दान Daan Benefits) के मुख्य चार प्रकार हैं - आहार दान (भोजन), औषधि दान (दवा), ज्ञान दान (शिक्षा) और अभय दान (सुरक्षा)। चलिए इनके बारे में जानते हैं।

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    दान के प्रकार -

    आहार दान - दान का पहला प्रकार है अन्नदान, जिसका अर्थ है भोजन दान करना। इसे आहारदान भी कहते हैं। यह दान बहुत ही पुण्यकारी माना गया है, क्योंकि यह दान भूखे व्यक्ति की भूख मिटाने का काम करता है। इसलिए यह सबसे महत्वपूर्ण दानों में से एक माना गया है।

    औषधि दान - औषधि दान का अर्थ है किसी को दवाइयों का दान देना या फिर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना। इस दान को आहार से श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाने का काम करता है। ऐसे में अन्नदान की तुलना में औषधि देने से जातक को अधिक लाभ मिलता है।

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    (AI Generated Image)

    ज्ञान दान (विद्या दान) - शिक्षा और ज्ञान का प्रसार करना, ज्ञान या विद्या दान की श्रेणी में आता है, जिसे एक श्रेष्ठ दान माना गया है। इसमें ऐसी पुस्तकों की छपाई भी शामिल है, जो लोगों को सही समझ प्रदान करें, उन्हें सही मार्ग पर ले जाएं और उनके आध्यात्मिक लाभ की ओर ले जाएं।

    यह दान किसी व्यक्ति का जीवन सुधारने में मदद कर सकता है, इसलिए यह माना गया है कि विद्या दान करने से दानकर्ता को उत्तम जीवन और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

    अभय दान (Abhay Daan) - अभय दान का अर्थ है किसी भयभीत या डरे हुए व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करना। ऐसे में किसी भी जीव को भय, कष्ट या हिंसा से मुक्ति दिलाना और सुरक्षा प्रदान करना और किसी के प्राणों की रक्षा करना भी अभय दान की श्रेणी में आता है। इसके साथ ही ऐसा आचरण करना, जिससे कोई आपसे डरे नहीं और उसे आपसे कोई दुख न हो, इसे भी अभय दान ही माना जाता है। जैन धर्म में इस दान को "सर्वप्रदान" या दानों का राजा भी कहा गया है।

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    (AI Generated Image)

    मिलते हैं ये लाभ

    दान करने से कई तरह के आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। अपनी क्षमता के अनुसार, अन्न, वस्त्र, धन, भूमि, सोना या चांदी जैसी वस्तुओं के दान करने से साधक को अलग-अलग ग्रह दोष से राहत मिल सकती है। साथ ही दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। खासकर सुपात्र यानी किसी जरूरतमंद को दिया गया दान सबसे फलदायी माना जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।