Chhath Puja 2025: छठ पर्व में क्या है खरना का महत्व, इस तरह होती है पूजा
छठ पर्व के दौरान चार दिनों में भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को मुख्य रूप से स्त्रियां अपने पुत्रों की कुशलता एवं परिवार की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। छठ पूजा मुख्य रूप से भारत के बिहार में प्रचलित है। इस दौरान किए जाने वाले खरना (Kharna 2025) का विशेष है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2025) मुख्य रूप से तीन से चार दिनों तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना किया जाता है और तीसरा दिन छठ पूजा की जाती है, जिसका विशेष महत्व है। इस दिन पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अगले दिन उषा अर्घ्य देकर छठ के व्रत का पारण किया जाता है।
कब है छठ पूजा
इस साल शनिवार, 25 अक्टूबर यानी नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत होने जा रही है। वहीं खरना (Kharna Date 2025) अगले दिन यानी रविवार 26 अक्टूबर को किया जाएगा। वहीं छठ पूजा, सोमवार छठ पूजा, 27 अक्टूबर को की जाएगी और अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
खरना का महत्व
छठ पूजा (Chhath Puja 2025) का दूसरा दिन यानी खरना विशेष महत्व रखता है। खरना का अर्थ है 'शुद्धता'। खरना के दौरान व्रत करने वाले साधकों को स्वच्छता और पवित्रता का पूर्ण रूप से ध्यान रखना होता है, ताकि व्रत में किसी तरह की बाधा न आए। ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन ही छठी मैया का घर में प्रवेश होता है। खरना का दिन पूर्ण रूप से भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जिससे साधक को सूर्य देव और छठी मैया की कृपा मिलती है।
इस तरह की जाती है पूजा
खरना के दिन व्रती महिलाएं मिट्टी से बनाए गए नए चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर बनाती हैं। पीतल के बर्तन में आम की लकड़ी जलाकर, गुड़, चावल और दूध की खीर तैयार की जाती है। इसके साथ ही गेहूं के आटे से बनी रोटी या पूड़ी, ठेकुआ आदि भी बनाए जाते हैं। इस खीर का भोग छठी मैया को लगाया जाता है और फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसके बाद से ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
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