Ganesh Mantra: बुधवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, चमक उठेगा सोया भाग्य
धार्मिक मत है कि भगवान गणेश (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024) की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष भी कारोबार में तरक्की और उन्नति पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, बुधवार 05 मार्च को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी है। बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है। इस दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा पाना चाहते हैं, तो भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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राशि अनुसार मंत्र जप
- मेष राशि के जातक मनचाहा वरदान पाने के लिए 'ॐ गणेश्वराय नमः' मंत्र का जप करें।
- वृषभ राशि के जातक सुखों में वृद्धि पाने के लिए 'ॐ गणेशाय नमः' मंत्र का जप करें।
- मिथुन राशि के जातक करियर में सफल होने के लिए 'ॐ गणपतये नमः' मंत्र का जप करें।
- कर्क राशि के जातक तनाव से निजात पाने के लिए 'ॐ गणराजे नमः' मंत्र का जप करें।
- सिंह राशि के जातक कारोबार में सफलता के लिए 'ॐ गणप्रदाय नमः' मंत्र का जप करें।
- कन्या राशि के जातक आय में वृद्धि के लिए 'ॐ गणेष्ठदाय नमः' मंत्र का जप करें।
- तुला राशि के जातक दुख दूर करने के लिए 'ॐ गुणिने नमः' मंत्र का जप करें।
- वृश्चिक राशि के जातक मनचाहा वर पाने के लिए 'ॐ गुणशालिने नमः' मंत्र का जप करें।
- धनु राशि के जातक सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए 'ॐ गणमान्याय नमः' मंत्र का जप करें।
- मकर राशि के जातक आर्थिक तंगी दूर के लिए 'ॐ गणभूतये नमः' मंत्र का जप करें।
- कुंभ राशि के जातक संकट दूर करने के लिए 'ॐ गणश्रेष्ठाय नमः' मंत्र का जप करें।
- मीन राशि के जातक कारोबार में उन्नति के लिए 'ॐ गणमूर्तये नमः' मंत्र का जप करें।
गणेश मंत्र
1. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
2. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
3. 'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
4. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
5. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
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