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    Chanakya Niti: घर के मुखिया को छोड़ देनी चाहिए ये आदतें, वरना नहीं होगी परिवार की उन्नति

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 06:19 PM (IST)

    घर के मुखिया का समझदार और बुद्धिमान होना बहुत ही जरूरी है तभी वह पूरे घर की जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकता है। लेकिन वहीं अगर किसी घर के हेड में ये आदतें पाई जाती हैं तो वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह सही ढंग से नहीं कर पाता। तो चलिए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य इस बारे में क्या कहते हैं।

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    Chanakya Niti: घर के मुखिया में कौन-सी आदतें नहीं होनी चाहिए।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti tips) ने अपने नीतिशास्त्र में कई ऐसी बातें बताई हैं, जिन्हें जीवन में अपनाने से आप कई तरह के लाभ देख सकते हैं। यही कारण है कि लोग आज भी चाणक्य नीति अपनाते हैं। तो चलिए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य के अनुसार, घर के मुखिया की वह कौन-सी आदतें हैं, जिन्हें छोड़ देना चाहिए, वरना आपको सम्मान प्राप्त नहीं होता।

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    जल्दी से छोड़ें ये आदत

    हिंदू धर्म में माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है। ऐसे में जो व्यक्ति अन्न बर्बाद करता है, उसे देवी अन्नपूर्णा की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। चाणक्य जी का कहना है कि जिस घर का मुखिया ही अन्न की बर्बादी करता है, उस घर में आर्थिक समस्याएं बनी रहती हैं। इसलिए इस आदत को जल्द-से-जल्द छोड़ देना चाहिए।

    क्या कहते हैं चाणक्य

    घर का मुखिया एक प्रकार से उस घर की नींव होता है। घर-परिवार को सही ढंग से चलाना उसी की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में चाणक्य जी कहते हैं कि घर के मुखिया में फिजूलखर्ची की आदत नहीं होनी चाहिए, वरना उस परिवार की आर्थिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती। क्योंकि बड़ो को देखकर ही बच्चे भी सीखते हैं, ऐसे में परिवार के सभी लोग फिजूलखर्ची करने लगते हैं। इसलिए जितना जल्दी हो सके इस आदत में सुधार कर लेना चाहिए।

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    खुद भी करें नियमों का पालन

    अगर घर का मुखिया परिवार के लिए कोई नियम बनाता है, तो सबसे पहले उस नियम का खुद पालन करना जरूरी है, तभी अन्य सदस्य भी उस नियम का पालन करेंगे। क्योंकि जो खुद नियमों को तोड़ता है, वह अपने से छोटों से नियमों का पालन करने की अपेक्षा नहीं कर सकता। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस आदत को छोड़ देना चाहिए।

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    नहीं होती परिवार की उन्नति

    आचार्य चाणक्य का यह भी कहना है कि जिस घर का मुखिया सदस्यों से अच्छे संबंध नहीं रखता या फिर भेदभाव करता है, तो इससे परिवार के लोगों में बैर की भावना उत्पन्न होने लगती है। वहीं कुछ घरों के मुखिया अपने से छोटों को कमतर आंकते हैं, जो बहुत ही गलत है। यह सभी चीजें परिवार की तरक्की में बाधा बन सकती हैं। इसलिए अपनी इस आदत में सुधार कर लेना चाहिए।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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