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    Chanakya Niti: कैसे करें अपने-पराए की पहचान, चाणक्य नीति में मिलता है ये तरीका

    Updated: Fri, 04 Apr 2025 06:30 PM (IST)

    कई बार लोग अपने और पराए की पहचान करने में अक्सर चूक जाते हैं और आगे चलकर उन्हें इसका काफी बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसे में आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti In hindi) ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि आप किस तरह अपने और पराए के बीच पहचान कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि चाणक्य जी के इस बारे में क्या विचार हैं।

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    Chanakya Niti अपने-पराए के बारे में क्या कहते हैं चाणक्य?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत के महान आचार्य चाणक्य, अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र के जनक कहे जाते हैं। उनके द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति (Chanakya Niti tips) आज भी काफी लोकप्रिय है, जिसे लोग अपने जीवन में अपनाते भी हैं। ऐसे में अगर आप अपने जीवन में इन बातों को उतारते हैं, तो इससे आप जीवन की कई समस्याओं से बच सकते हैं। चलिए जानते हैं कि अपने-पराए को लेकर क्या कहती है चाणक्य की नीति।

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    इस तरह करें पहचान

    आपके जीवन का सबसे कठिन समय किसी भी व्यक्ति की पहचान के लिए सबसे अच्छा है। क्योंकि यही अपने और पराए की पहचान करने का सबसे उत्तम पैमाना है कि वह आपके कठिन समय में आपका कितना साथ देता है।

    चाहे कितना भी दूर का रिश्ता हो, लेकिन अगर वह व्यक्ति मुश्किल समय में भी आपके साथ खड़ा है, तो वही आपका अपना है। इसके विपरीत चाहे कोई कितना भी करीबी क्यों न हो, लेकिन अगर मुश्किल समय में वह पीछे हट जाता है, तो ऐसे व्यक्ति से दूर रहने में ही भलाई है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति कभी अपना नहीं होता। 

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    इस समय में होती है पहचान

    धनवान व्यक्ति को तो कई सारे मित्र बन जाते हैं, जो केवल धन देखकर ही मित्रता करते हैं। जिसे आप अपना कहते हैं या फिर असली दोस्त वही है, जो धन न होने पर भी आपके साथ है। क्योंकि उसकी मित्रता में कोई स्वार्थ नहीं छिपा।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    वहीं अगर किसी व्यक्ति को अचानक धन की हानि हो जाए, तो इस समय में भी अपने-पराए की पहचान होती है। अगर इस समय में कोई व्यक्ति आपके साथ खड़ा रहता है या फिर आपकी मदद करता है, तो आप उसे गर्व से अपना कह सकते हैं, लेकिन वहीं मुश्किल घड़ी में साथ छोड़ देने वाला कभी अपना नहीं हो सकता।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।