Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताया है सत्य ही इश्वर है, सत्य से बढ़कर कुछ नहीं
Chanakya Niti आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उन्होंने शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में अनेकों युवाओं का मार्गदर्शन किया जाता। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य ने सत्य के विषय में क्या ज्ञान दिया है?

नई दिल्ली, Chanakya Niti: एक सच्चा गुरु हर परिस्थिति में अपने शिष्यों को सही मार्ग दिखाने का कार्य करता है। आचार्य चाणक्य उन्हीं शिक्षकों में से एक थे। जिन्होंने लाखों दिशाहीन शिष्यों को अपनी नीतियों के माध्यम से सही मार्ग दिखाने का कार्य किया। आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति (Chanakya Niti in Hindi) में जीवन की हर विपरीत परिस्थिति से लड़ने का तरीका बताया गया है। आचार्य चाणक्य न केवल राजनीति, कूटनीति, युद्धनीति में निपुण थे बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र का विस्तृत ज्ञान था. उन्होंने व्यक्ति के व्यवहार को बड़ी अच्छी तरह से समझा था और उससे जुड़े अनेकों नीतियों का निर्माण किया था। आइए चाणक्य नीति के इस भाग में जानते हैं व्यक्ति के जीवन में सत्य का क्या महत्व है।
चाणक्य नीति के अनुसार सत्य ही धर्म है (Chanakya Niti Gyan)
सत्य -सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः ।
सत्यमूलनि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि इस संसार में सत्य ही ईश्वर का रूप है। धर्म का बुनियादी स्तम्भ भी सत्य पर ही आश्रित है। सत्य ही सभी का मूल है और सत्य से बढ़कर इस संसार में और कुछ भी चीज नहीं है। इसलिए व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और सदैव सत्य को ही अपना परम धर्म मानना चाहिए।
सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात सत्यं प्रियम।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात एष धर्म: सनातन: ।।
चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को हमेशा सत्य बोलना चाहिए, लेकिन अप्रिय लगे ऐसा सत्य भी नहीं बोलना चाहिए। इसके साथ प्रिय लगने वाला असत्य भी कभी नहीं बोलना चाहिए। यही सनातन धर्म है। इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि व्यक्ति को सत्य का मार्ग हमेशा अपनाना चाहिए। लेकिन दूसरों के दिल को ठेस पहुंचे ऐसा सत्य भी नहीं बोलना चाहिए। जैसे उनके रहन-सहन पर कटाक्ष या उनकी भाषा का मजाक या जो आपके नजरिये से सत्य है लेकिन सुनने वाले के लिए वह बात अनादर हो तो उसे मुंह से नहीं निकालना चाहिए।
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