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    Chaitra Navratri Day 9: नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की कथा का करें पाठ, मिलेगा व्रत का पूरा फल

    चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस दौरान विधिवत पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस साल चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025 Date) की नवमी तिथि आज यानी 6 अप्रैल को मनाई जा रही है तो आइए यहां देवी की पूजा से जुड़ी सभी बातें जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 06 Apr 2025 06:30 AM (IST)
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    Chaitra Navratri Day 9: नवमी तिथि कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के साथ-साथ उनकी पावन कथा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं। इस साल नवमी तिथि (Chaitra Navratri Day 9) 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर मां सिद्धिदात्री की कथा का पाठ करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

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    मां सिद्धिदात्री की कथा (Chaitra Navratri Day 9 Katha)

    एक बार भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी और उन्हीं की कृपा से भोलेनाथ को सभी तरह सिद्धियां प्राप्त हुईं। इसी कारण भगवान शिव का एक रूप 'अर्धनारीश्वर' भी कहलाता है, जिसमें वे आधे शिव और आधी शक्ति के रूप में विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की आराधना के बिना किसी भी देवी-देवता की पूजा पूरी नहीं होती। देवी सिद्धिदात्री हिमालय पर्वत के शिखर पर निवास करती हैं और वे सभी सिद्धियों की रक्षा करती हैं।

    उनकी कृपा से भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। जो भक्त नवरात्रि के नौवें दिन सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और उनकी कथा का पाठ करते हैं, उन्हें जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहती।

    इस नियम से करें कथा का पाठ (Katha Benefits)

    स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें। मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और विधिवत पूजा करें। इसके बाद शांत मन से मां सिद्धिदात्री की कथा का पाठ करें या फिर किसी पुरोहित से सुनें। कथा पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से सुनें। कथा समाप्त होने के बाद मां की आरती करें और भोग अर्पित करें।

    अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें, जो लोग ऐसा करते हैं मां की कृपा से उनके सभी कष्टों का अंत होता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।