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    Chaitra Navratri 2025: कैसा है मां दुर्गा का स्वरूप? जानें इनकी महिमा

    चैत्र नवरात्र मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान (Chaitra Navratri 2025) जगत जननी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस साल इस महापर्व को बहुत शुभ माना जा रहा है क्योंकि मां हाथी पर सवार होकर आईं हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समय माता रानी (Maa Durga Swaroop) की विशेष पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होगा।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 03 Apr 2025 01:43 PM (IST)
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    Chaitra Navratri 2025: मां दुर्गा के 9 रूपों का महत्व। Img Caption (Freepic)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। यह मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, प्रत्येक स्वरूप का अपना विशिष्ट महत्व और स्वरूप है। मां दुर्गा, जिन्हें आदि शक्ति के रूप में भी जाना जाता है, वो इस जगत की ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति हैं और भक्तों की रक्षा के लिए विभिन्न रूप धारण करती हैं, तो आइए देवी दुर्गा के 9 रूपों (Maa Durga Form) के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।

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    कैसा है मां दुर्गा का स्वरूप? (Chaitra Navratri Maa Durga Mahima)

    मां शैलपुत्री

    नवरात्र के पहले दिन पूजी जाने वाली मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनका वाहन वृषभ (बैल) है और उनके हाथों में त्रिशूल और कमल का फूल है। मां दुर्गा का यह स्वरूप स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक है।

    मां ब्रह्मचारिणी

    दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जो तपस्या और वैराग्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनके एक हाथ में जप माला और दूसरे में कमंडल विराजमान है।

    मां चंद्रघंटा

    तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है। मां का वाहन सिंह है और वे दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। यह स्वरूप शांति और कल्याण का प्रतीक है।

    मां कूष्मांडा

    चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है, जिन्होंने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड को बनाया था। उनकी आठ भुजाएं हैं और वे सिंह पर सवार हैं। यह स्वरूप ऊर्जा और रचनात्मकता का प्रतीक है।

    मां स्कंदमाता

    पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है, जो भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। उनका वाहन सिंह है और वे अपनी गोद में बालक स्कंद को लिए हुए हैं। यह स्वरूप मातृत्व और वात्सल्य का प्रतीक है।

    मां कात्यायनी

    छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था। उनका वाहन सिंह है और वे चार भुजाओं में तलवार, कमल और अभय व वरद मुद्रा धारण करती हैं। यह स्वरूप शक्ति और साहस का प्रतीक है।

    मां कालरात्रि

    सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है, जिनका रंग काला और रूप उग्र है। देवी का वाहन गधा है और वे शत्रुओं का नाश करने वाली मानी जाती हैं। यह स्वरूप भय और नकारात्मकता का अंत करने वाला है।

    मां महागौरी

    आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है, जिनका वर्ण श्वेत है और वे शांति और पवित्रता का प्रतीक हैं। मां का वाहन वृषभ है और वे चार भुजाओं में त्रिशूल और कमल धारण करती हैं।

    मां सिद्धिदात्री

    नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। वे कमल पर विराजमान हैं और चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण करती हैं। यह स्वरूप पूर्णता और मोक्ष का प्रतीक है।

    चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के इन नौ स्वरूपों की भक्तिभाव से पूजा करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पर्व नारी शक्ति के महत्व और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।