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    Chaitra Navratri 2025: नवरात्र के दौरान इस विधि से करें दुर्गा सप्तशती का पाठ, रखें इन बातों का ध्यान

    सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) का त्योहार बेहद शुभ माना जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है जिसका इंतजार देवी भक्त पूरे साल करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं इस दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ का भी बड़ा महत्व है तो आइए इसके नियमों को जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 08 Mar 2025 12:45 PM (IST)
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    Chaitra Navratri 2025: नवरात्र से जुड़े नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र का पर्व हर साल देवी भक्त भक्ति भाव के साथ मनाते हैं। यह देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। साल 2025 में, चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है और 7 अप्रैल को इसका समापन होगा, जो नौवें दिन राम नवमी के उत्सव का भी प्रतीक है। इस दौरान (Chaitra Navratri 2025) साधक दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं, तो आइए यहां पाठ के नियम को जानते हैं, जिससे पूजा में किसी भी तरह का विघ्न न पड़े।

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    दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम (Durga Saptshati Path Rules)

    साधक सबसे पहले स्नान करें। फिर मां दुर्गा का ध्यान करें। माता रानी की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद मां के सामने दुर्गा सप्तशती पाठ का संकल्प लें। नवरात्र के पहले दिन से दुर्गा सप्तशती पाठ की शुरुआत करें। पाठ के दौरान लाल रंग के कपड़े पहनें। दुर्गा सप्तशती को लाल चुनरी या वस्त्र से लपेटकर रखें। एक दिन में या फिर नौ दिनों में पूरे 13 अध्याय का पाठ पूर्ण करें। पाठ करते समय बीच में न उठें और न बोलें। ब्रह्मचर्य और पवित्रता का ध्यान रखें। पाठ जल्दबाजी में न करें, शब्दों का उच्चारण एक लय में करें।

    पाठ समाप्त होने के बाद क्षमा मांगे, जिस दिन से दुर्गा सप्तशती पाठ का संकल्प लिया गया हो, तभी से मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन बंद कर दें। साधक तामसिक चीजों से दूर रहें। पाठ के दौरान किसी के लिए बुरे भाव मन में न लाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय लाल आसन पर बैठें।

    पूजा मंत्र ( Puja Mantra)

    1. ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः

    2. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

    शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

    3. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।