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    Chaitra Navratri 2025 Day 3: इस नियम से करें मां चंद्रघंटा की भव्य आरती, अन्न-धन से भरा रहेगा घर

    चैत्र नवरात्र का पर्व बहुत कल्याणकारी माना जाता है। यह दुर्गा माता की पूजा के लिए समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा की उपासना करने से जीवन में खुशहाली आती है। इस साल चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) 30 मार्च से शुरू हुआ है। आज चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन है तो आइए माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उनकी भव्य आरती करते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Tue, 01 Apr 2025 09:15 AM (IST)
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    Chaitra Navratri 2025 Day 3: मां चंद्रघंटा की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विधान है। इस दिन उनकी भव्य आरती करने से घर में सौभाग्य और खुशियों का वास होता है। मां चंद्रघंटा की आरती में शामिल होने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की आरती में भक्ति भाव से शामिल होने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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    चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025 Day 3) के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की विधिपूर्वक आरती करके आप न केवल उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने घर को खुशियों और सकारात्मकता से भी भर सकते हैं, तो आइए यहां माता रानी की आरती का पाठ करते हैं।

    ।।मां चंद्रघंटा की आरती।। ( Devi Chandraghanta Ki Aarti)

    नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।

    मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

    दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।

    घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

    सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।

    करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

    मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।

    भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

    नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।

    जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

    ।।दुर्गा जी की आरती।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी…

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी…

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी…

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी…

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी…

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी…

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी…

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी…

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी…

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी…

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी…

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    मां दुर्गा की जय…मातारानी की जय…मां जगदम्बा की जय!

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