Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र के दूसरा दिन करें इस कथा का पाठ, मिलेगा मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद
नवरात्र का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां दुर्गा का यह स्वरूप बेहद शांत है। देवी ब्रह्मचारिणी हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल धारण करती हैं। माना जाता है कि माता रानी की विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन (Maa Brahmacharini Vrat Katha) की व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए जो इस प्रकार है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन मां दुर्गा की द्वितीय शक्ति, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप शांत और सौम्य हैं। चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन उनकी कथा का पाठ करने से साधक को त्याग, वैराग्य, संयम और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे में इस दिन (Chaitra Navratri 2025 Day 2) सुबह स्नान के बाद मां की विधिवत पूजा करें और उनकी कथा का पाठ करें, जो इस प्रकार है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी कथा (Maa Brahmacharini Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने नारद मुनि के कहने पर भगवान शंकर की कठिन तपस्या की थी और इसके प्रभाव से ही उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसके साथ ही कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि तपस्या के दौरान देवी ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए थे। वे हर दुख सहकर भी शंकर जी की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने बिल्व पत्र का भी त्याग कर दिया था। फिर कई हजार वर्षों तक उन्होंने निर्जल व निराहार रहकर तपस्या की, जब उन्होंने पत्तों को खाना छोड़ा तो उनका नाम अपर्णा पड़ गया। घोर तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया।
जिसे देखकर देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की और कहा कि ''हे देवी आपकी तपस्या जरूर सफल होगी''। फिर कुछ समय के बाद ऐसा ही हुआ। बता दें, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सर्वसिद्धि की प्राप्ति होती है।
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