Navratri Day 3: नवरात्र के तीसरे दिन करें ये उपाय, मिलेगा मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद
चैत्र नवरात्र की शुरुआत रविवार 30 मार्च से हो चुकी है। नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) के तीसरे दिन आदिशक्ति के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में अगर आप नवरात्र के तीसरे दिन पर कुछ खास उपाय करते हैं तो इससे आपको देवी चंद्रघंटा की विशेष कृपा की प्राप्ति हो सकती है। चलिए जानते हैं वह उपाय।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र की अवधि को नवदुर्गाओं की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। इस समय में आप दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना कर सुख-समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। देवी के तीसरे स्वरूप यानी मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममतामयी है। मान्यताओं के अनुसार देवी चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अर्पित करें ये चीजें
नवरात्र के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं और इसके बद साफ-सुथरे कपड़े पहने। पूजा के दौरान माता को कुमकुम और अक्षत जरूर अर्पित करें। मां चंद्रघंटा को पीला रंग प्रिय माना गया है, ऐसे में माता को पीले फूल अर्पित करें। इसी के साथ आप माता को दूध से बनी खीर का भी बोग लगा सकते हैं। इससे देवी प्रसन्न होती हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
करें इस चीजों का पाठ
नवरात्र के तीसरे दिन आप मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान देवी के मंत्र और आरती के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। ऐसा करने से देवी मां की कृपा आपको प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।
यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2025: यूपी के इन मंदिरों में लगती है लंबी कतार, देवी के दर्शन से दूर होते हैं कष्ट
दूर होगी नकारात्मकता
नवरात्र के दौरान सुबह लौंग और कपूर साथ में जलाकर इनका धुंआ पूरे घर में करें। ऐसा करने से घर में मौजूद नकारात्मकता ऊर्जा से आपको मुक्ति मिल सकती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। घर में सुख-शांति का माहौल बनाए रखने के लिए आप यह उपाय नवरात्र में रोजाना कर सकते हैं।
करें इस मंत्रों का जप -
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
- वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
- मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2025: मां चंद्रघंटा की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।