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    Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को है समर्पित, जानें कैसा है इनका का स्वरूप

    Updated: Wed, 10 Apr 2024 02:49 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा और व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन मां चंद्रघंटा की विशेष उपासना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख और शांति के लिए व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा का स्वरूप और पूजा विधि के बारे में।

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    Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को है समर्पित, जानें कैसा है इनका का स्वरूप

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 3 Maa Chandraghanta Puja: सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र का पर्व मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस बार 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान अलग-अलग दिन माता रानी के नौ रूपों की पूजा और व्रत करने विधान है। ऐसे में नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन विशेष मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख और शांति के लिए व्रत किया जाता है। आइए, जानते हैं मां चंद्रघंटा का स्वरूप और पूजा विधि के बारे में।

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    मां चंद्रघंटा की पूजा से मिलते हैं फायदे

    चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां चंद्रघंटा की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन में आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है और मां भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं।

    ऐसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप

    मां चंद्रघंटा का स्वरूप अतुलनीय और अलौकिक है। धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा संसार में न्याय और अनुशासन स्थापित करती हैं। उनकी 10 भुजाएं अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं। वह देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान हैं। देवों के देव महादेव से विवाह करने के बाद मां चंद्रघंटा ने अपने माथे को अर्धचंद्र से सजाया था।

    मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

    • चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन सूर्योदय से पहले उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।
    • इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
    • अब मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें।
    • मां को फूलमाला अर्पित करें।
    • सिन्दूर या कुमकुम लगाएं।
    • श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
    • देसी घी का दीपक जलाएं
    • अब आरती करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
    • फल और मिठाई का भोग लगाएं
    • इसके बाद प्रसाद का वितरण करें।

    मां चंद्रघंटा मंत्र

    पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

    प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'