Chaitra Navratri 2023 Day 1: चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन कल, इस विधि से करें मां शैलपुत्री की उपासना
Chaitra Navratri 2023 कल से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन पर माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं माता शैलपुत्री पूजा विधि शुभ मुहूर्त प्रिय भोग और वैदिक मंत्र।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023 Day 1, Maa Shailputri Puja: हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानी 22 मार्च 2023, बुधवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के प्रमुख नौ स्वरूपों की उपासना का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से और मां भगवती की उपासना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता शैलपुत्री की पूजा विधि-विधान से की जानी चाहिए। आइए जानते हैं कलश स्थापना का मुहूर्त, पूजा-विधि और वैदिक मंत्र।
चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Puja Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 14 मिनट से सुबह 7 बजकर 55 मिट तक रहेगा। पूजा की अवधि 1 घंटे 41 मिनट रहेगी। इस दौरान विधि-विधान से माता शैलपुत्री की पूजा की जानी चाहिए और वैदिक मंत्रों का उच्चारण अवश्य होना चाहिए। बता दें कि चैत्र नवरात्रि के दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन ब्रह्म योग सुबह 7 बजकर 48 मिनट से 23 मार्च सुबह 4 बजकर 40 तक रहेगा।
मां शैलपुत्री पूजा विधि (Chaitra Navratri 2023- Mata Shailputri Puja Vidhi)
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी मानी जाती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि साधक शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें और उसके बाद मां दुर्गा की उपासना करें। ऐसा करने के बाद माता शैलपुत्री की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा करें। पूजा के समय माता शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि माता शैलपुत्री की पूजा के समय साधक गुलाबी, लाल, रानी या नारंगी रंग का वस्त्र ही धारण करें।
माता शैलपुत्री मंत्र (Mata Shailputri Mantra)
बीज मंत्र- ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।।
प्रार्थना- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां शालिपुत्री स्तोत्र
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्।।
यह भी पढ़ें:
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।