Chaiti Chhath 2025: कब से शुरू है चैती छठ, नोट करें नहाय खाय और संध्या अर्घ्य की सही डेट
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (Chaiti Chhath 2025) पर सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। इस योग में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी। चैती छठ के दो दिन बाद राम नवमी मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल लोक आस्था का महापर्व छठ चैत्र और कार्तिक महीने में मनाया जाता है। चैत्र महीने की छठ पूजा को चैती छठ या यमुना छठ भी कहा जाता है। चैती छठ भी कार्तिक छठ पूजा की तरह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। वहीं, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। जबकि, सप्तमी तिथि को उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन होता है। इस व्रत को बिहार, नेपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। आइए, चैती छठ पूजा की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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चैती छठ पूजा की सही डेट
- 1 अप्रैल को नहाय-खाय है। इस दिन व्रती स्नान-ध्यान कर सूर्य देव और कुल के देवता या देवी मां की पूजा करती हैं। इसके बाद भोजन ग्रहण करती हैं। इस शुभ अवसर पर चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी भोजन में खाया जाता है।
- 2 अप्रैल को खरना मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं। वहीं, संध्याकाल में खरना पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं।
- 3 अप्रैल को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- 4 अप्रैल को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ पूजा का समापन होगा। सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। छठ पूजा व्रत करने से नवविवाहित दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
चैती छठ शुभ मुहूर्त (Chaiti Chhath Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 02 अप्रैल को देर रात 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 03 अप्रैल को रात 09 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू होगी। 03 अप्रैल को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्यास्त संध्याकाल 06 बजकर 40 मिनट पर होगा। वहीं, सप्तमी तिथि यानी 04 अप्रैल को सूर्योदय प्रातः काल 06 बजकर 08 मिनट पर होगा।
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