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    Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा पर इस नियम से करें पितृ तर्पण, कट जाएंगे सभी पाप

    Updated: Thu, 01 May 2025 05:04 PM (IST)

    बुद्धि पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। यह दिन मां लक्ष्मी विष्णु जी और चंद्र देव को समर्पित है। इस दिन गौतम बुद्ध की भी पूजा होती है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2025) 12 मई को मनाई जाएगी तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Buddha Purnima 2025: पितृ तर्पण के नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह पावन तिथि 12 मई, 2025 को पड़ रही है। यह दिन न केवल भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक है, बल्कि यह पितरों तर्पण के लिए भी विशेष महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से पितृ तर्पण करने से सभी पाप कट जाते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों में पितृ तर्पण का विशेष महत्व बताया गया है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसके जरिए हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं, तो चलिए इस दिन (Buddha Purnima 2025) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।

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    पितृ तर्पण के नियम (Buddha Purnima 2025 Pitru Tarpan Rules)

    • भोर में उठें और पवित्र स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
    • पितरों के निमित्त तर्पण जल, जौ, तिल और कुशा से करें।
    • पितरों के नाम से दान-दक्षिणा करें।
    • ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं।
    • अगर संभव हो तो इस दिन पिंडदान जरूर करें, इससे पितरों को मोक्ष मिल जाता है।
    • इस दिन पक्षियों को दाना डालना चाहिए।
    • तामसिक भोजन के उपयोग से बचें।
    • अपनी वाणी पर संयम रखें और किसी को भी बुरा न बोलें।
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद लें।
    • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही तर्पण करें।

    पितृ तर्पण के लाभ (Pitru Tarpan Benefits)

    बुद्ध पूर्णिमा के दिन पितृ तर्पण करने से अनेक लाभ मिलते हैं। यह न केवल पितरों की आत्मा को तृप्त करता है, बल्कि जीवन से सभी प्रकार के पापों और नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है। ऐसा कहा जाता है कि पितरों का तर्पण करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इसके साथ ही घर का क्लेश समाप्त होता है।

    पितृ पूजा मंत्र (Pitru Tarpan Mantra)

    • ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः पितृगणाय च नमः।।
    • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च, नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।।
    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।