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    Hindu Mantras: सारी पवित्र नदियों का जल आ जाएगा बाल्टी में, नहाने के दौरान बोले ये मंत्र… जानिए कब नहाएं

    Updated: Wed, 11 Jun 2025 06:50 AM (IST)

    Hindu Mantras हिंदू धर्म में मंत्रों का महत्व है जो विशेष ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। सुबह के स्नान के लिए कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण मानसिक शांति और समस्याओं को हल करने में मदद करता है। स्नान शारीरिक शुद्धि के साथ आत्मिक शुद्धि भी करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

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    Hindu Mantras: मंत्रों में लिखे हुए शब्द एक विशेष प्रकार की ऊर्जा पैदा करते हैं।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hindu Mantras: हिंदू धर्म में मंत्रो का विशेष महत्व है। वास्तव में मंत्रों में लिखे हुए शब्द एक विशेष प्रकार की ऊर्जा पैदा करते हैं। यही ऊर्जा उस रूप में हमारे काम को करती है, जिसकी हम वास्तव में इच्छा कर रहे होते हैं।

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    इसी वजह से सुबह के स्नान से लेकर हर कार्य विशेष के लिए मंत्र (Chant Mantras for Morning Rituals) दिए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति स्नान करते समय कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण करता है, तो इससे न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है, बल्कि कई तरह की समस्याएं भी हल हो जाती हैं। 

    नहाना क्यों जरूरी है 

    सुबह नित्य क्रियाओं को करने के बाद शरीर अशुद्ध और गंदा हो जाता है। ऐसे में शारीरिक शुद्धि के लिए नहाना जरूरी होती है। इसके अलावा यदि इस दौरान आप कुछ मंत्रों का जाप (mantra chanting) भी करते हैं, तो इसके शारीरिक शुद्धि के साथ ही आत्मिक शुद्धि भी हो जाती है। 

    साथ ही साथ मन और शरीर की पवित्रता बढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही ऊर्जा आपको शारीरिक और मानसिक परेशानियों से लड़ने के योग्य बनाती है। 

    बाल्टी में ही आ जाएंगी सभी नदियां 

    मंत्रों में वह शक्ति है कि सभी पवित्र नदियों के जल को आपके पास ला सकते हैं। आपको नहाने से पहले पूरी श्रद्धा के साथ बाल्टी में पानी भरकर यह मंत्र कहना है…  

    गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। 

    नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।

    इस मंत्र का अर्थ है कि हे पवित्र नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी आप सभी का मैं आह्वान कर रहा हूं। मेरे इस जल में आकर इसे भी पवित्र कर दो। यह मंत्र स्नान से पहले जपा जाता है, जो जल के पवित्रता और महत्व का प्रतीक है। यह मंत्र जल के उपहार के लिए भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक तरीका भी है। 

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    किस समय नहाना चाहिए 

    • ब्रह्ममुहूर्त में भगवान का चिंतन करते हुए किए जाने वाले स्नान को ब्रह्म स्नान कहते हैं।
    • सूर्योदय से पहले देवनदियों में या उनका स्मरण करते हुए किए जाने वाले स्नान को देव स्नान कहते हैं।
    • सुबह आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों, तब किए जाने वाले स्नान को ऋषि स्नान कहते हैं।
    • सूर्योदय के समय तक किए जाने वाले सामान्य स्नान को मानव स्नान कहते हैं। 
    • सूर्योदय के बाद में किए जाने वाले स्नान को दानव स्नान कहा जाता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।