Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bhishma Pitamah: जीवन में जरूर अपनाएं भीष्म पितामह द्वारा कही गई ये बातें, हर समस्या का निकलेगा हल

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 04:21 PM (IST)

    भीष्म पितामह महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र रहे हैं जिन्होंने युद्ध में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महाभारत की कथा के अनुसार उन्हें अपने पिता शांतनु से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। अपने अंतिम समय में उन्होंने पांडवों को कुछ बातें बताई थीं जिन्हें अगर आप जीवन में उतारते हैं तो आपको काफी लाभ मिल सकता है।

    Hero Image
    Bhishma Pitamah: भीष्म पितामह ने देह त्यागने से पहले कहीं ये बातें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवव्रत अर्थात भीष्म पितामह को धर्म, नीति, और कर्तव्य के लिए जाना जाता है। उन्होंने आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा भी ली थी। महाभारत के युद्ध में उन्होंने कौरवों के सेनापति की भूमिका निभाई थी। देह का त्याग करने से पहले भीष्म पितामह ने पांडवों को कुछ ऐसी बातें बताई थीं, जिन्हें हर व्यक्ति को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    करें इन चीजों का त्याग

    भीष्म पितामह कहते हैं कि प्रतापी बनें, लेकिन महिमामंडन करने से बचें। इसी के साथ एक राजा को क्रूरता और द्वेष की भावना का त्याग करना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सुखों की लालसा में मर्यादा का त्याग नहीं करना चाहिए।

    औरतों का करें सम्मान

    भीष्म पितामह ने पांडवों को यह भी शिक्षा दी थी कि सदैव स्त्रियों का आदर व सम्मान करना चाहिए। इसी के साथ हमेशा स्त्रियों की रक्षा करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। औरतों को सम्मान न करने पर किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, महाभारत ग्रंथ इसका एक अच्छा उदाहरण है।

    यह भी पढ़ें - Ashadha Month 2025: जून में इस दिन से हो रही है आषाढ़ माह की शुरुआत, जानिए किन राशियों को मिलेगा लाभ

    राजा के कर्तव्य

    भीष्म पितामह पांडवों को एक राजा के कर्तव्य बताते हुए कहते हैं कि राजा को कभी भी किसी को बिना सोचे-समझे दंड नहीं देना चाहिए। इसके साथ ही एक राजा को कभी बुरे लोगों का साथ नहीं लेना चाहिए और न ही राजा को किसी से गुप्त बातें व योजना साझा करनी चाहिए। इससे आगे चलकर उसे ही हानि होगी। सच्चे अर्थ में एक अच्छा शासक वही है, जो अपने पुत्र और प्रजा में कोई अंतर नहीं करता।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    अपनाएं ये सीख

    हमेशा साधु-संतों का आदर करना चाहिए और उनका धन कभी नहीं छीनना चाहिए। इसी के साथ सदैव अपने गुरुजनों का भी आदर करना चाहिए और गुरु की सेवा करनी चाहिए। साथ ही भीष्ण पितामह ने पांडवों को यह भी शिक्षा दी थी कि एक राजा को हमेशा धर्म का आचरण करना चाहिए।

    यह भी पढ़ें - Vastu Tips: बीमारी दूर होगी, घर पर लगी नजर हटेगी… बस बारिश के पानी से कर लें ये उपाय

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।