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    Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं कई दुर्लभ संयोग, बरसेगी महादेव की कृपा

    शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है। भगवान शिव के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त संकटों से मुक्ति मिलती है।  

    By Pravin Kumar Edited By: Pravin Kumar Updated: Wed, 25 Jun 2025 04:35 PM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 08 जुलाई को प्रदोष व्रत है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। यह पर्व प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा एवं भक्ति की जाती है। भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो भौम प्रदोष व्रत पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इनमें शुक्ल और शिववास योग प्रमुख हैं। इसके साथ ही कई अन्य दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं।

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    भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 07 जुलाई से शुरू होगी। त्रयोदशी तिथि 07 जुलाई को देर रात 11 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और 09 जुलाई को देर रात 12 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर संध्याकाल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 08 जुलाई को भौम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    भौम प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    भौम प्रदोष व्रत पर शुक्ल योग का संयोग रात 10 बजकर 17 मिनट तक है। ज्योतिष शुक्ल योग को शुभ मानते हैं। इसके बाद ब्रह्म का संयोग बन रहा है। साथ ही भौम प्रदोष व्रत पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। वहीं, ज्येष्ठा नक्षत्र के संयोग में कौलव और तैतिल करण के संयोग हैं। इन योग में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।  

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 05 बजकर 33 मिनट पर
    • चंद्रास्त- सुबह 03 बजकर 39 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 09 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।