Bhadrapada Purnima 2025 Date: 06 या 07 सितंबर, कब है भाद्रपद पूर्णिमा? यहां जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
धार्मिक मत है कि भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima 2025 Date) के दिन स्नान-ध्यान कर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से साधक को मुक्ति मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा का खास महत्व है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से आश्विन माह की शुरुआत होती है। इस महीने में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
धार्मिक मत है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक पर पितरों की कृपा बरसती है। इसके लिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। आइए, भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा पर लगेगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद पूर्णिमा यानी 07 सितंबर को साल का अंतिम ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य होगा। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सूतक भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा। वहीं, चंद्र ग्रहण रात 09 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा। वहीं, देर रात 01 बजकर 26 मिनट पर चंद्र ग्रहण समाप्त होगा।
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima 2025 Date Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा की शुरुआत (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार) 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर होगी। वहीं, 07 सितंबर को देर रात 11 बजकर 38 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 07 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी। भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय शाम 06 बजकर 26 मिनट पर है।
भाद्रपद पू्र्णिमा शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima 2025 Date Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद पू्र्णिमा पर सुकर्मा और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में स्नान-ध्यान और गुरु की पूजा करने से साधक को शुभता का वरदान मिलेगा।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 02 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 36 मिनट पर
- चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 26 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 16 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 59 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
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