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    Masik Shivratri 2024: इन 4 मंगलकारी योग में मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि, दूर होंगे सभी दुख एवं कष्ट

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 02 Jun 2024 05:02 PM (IST)

    हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। भगवान शिव की पूजा करने से उपासकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है।

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    Masik Shivratri 2024: इन 4 मंगलकारी योग में मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: सनातन पंचांग के अनुसार, 04 जून को मासिक शिवरात्रि है। यह पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखा जाता है। शिव पुराण में मासिक शिवरात्रि पर्व के महत्व को विस्तारपूर्वक तरीके से बताया गया है। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

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    भद्रावास योग

    ज्योतिषियों की मानें तो भद्रावास योग बेहद शुभ योग होता है। जब भद्रा स्वर्ग में रहती है, तो पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों का कल्याण होता है। मासिक शिवरात्रि के दिन भद्रा रात में 10 बजकर 01 मिनट से पूर्ण रात्रि तक है। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में ही भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए निशा काल में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं।

    सर्वार्थ सिद्धि योग

    मासिक शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 10 बजकर 35 मिनट से हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। इस योग का समापन सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की उपासना करने से साधक को शुभ कार्यों में सिद्धि मिलेगी।

    करण

    मासिक शिवरात्रि पर गर और वणिज करण का संयोग बन रहा है। गर करण सुबह 11 बजकर 08 मिनट तक है। इसके बाद वणिज करण का संयोग बन रहा है। ज्योतिष दोनों करण को शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान शिव की उपासना करना परम फलदायी होता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।