Benefits of Rudraksha: 1, 2, 4 और 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे, ये लोग करें धारण
Benefits of Rudraksha रुद्राक्ष के प्रकार के होते हैं। इनमे एक मुखी दो मुखी चार मुखी और 7 मुखी रुद्राक्ष प्रमुख हैं। इन सभी को धारण करने के अपने-अपने फायदे हैं। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष शरीर के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। आइए जानते हैं कि ज्योतिष के अनुसार किस रुद्राक्ष का क्या महत्व है और इन्हें पहनने से क्या लाभ मिलते हैं।

नई दिल्ली, अध्यात्म। Benefits of Rudraksha: रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से माना गया है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुई थी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष पहनने के कई फायदे मिलते हैं रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव का आशीर्वाद आप के ऊपर बना रहता है। आइए जानते हैं कि अलग-अलग रुद्राक्ष पहनने के क्या लाभ हैं।
किसके लिए है 1 मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष को बेहद प्रभावशाली माना गया है। इसे पहनने से जीवन में उन्नति और एकाग्रता प्राप्त होती है। साथ ही किसी भी प्रकार का डर दूर होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसके साथ ही आंखों के विकार, हड्डी की परेशानियां और बीपी जैसी समस्याओं में भी यह लाभकारी सिद्ध होता है।
2 मुखी रुद्राक्ष के लाभ
दो मुखी रुद्राक्ष को शिव और शक्ति का स्वरूप माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, यह रुद्राक्ष भी बहुत प्रभावशाली होता है। ज्योतिष की मानें तो जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें या दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इससे मानसिक दुर्बलता दूर होती है।
किन्हें धारण करना चाहिए 4 मुखी रुद्राक्ष
4 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है उन्हें रुद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है।
सात मुखी रुद्राक्ष के फायदे
सात मुखी रुद्राक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से माना गया है। इसे धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है। जोड़ों के दर्द और मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्ति को भी सात मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ मिलता है।
धारण करने के नियम
रुद्राक्ष धारण करने का पूरा फल तभी मिलता है जब उसे सही तरीके से धारण किया जाए। इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं। रुद्राक्ष को विधि-विधान पूर्वक धारण करना चाहिए। इसलिए पहले किसी पंडित या ज्योतिष से सलाह लेना जरूरी है।
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