अमृत कलश से अमृत छलक 16 जगहों पर गिरा
इस बीच अमृत कलश से अमृत छलक कर चार पवित्र जगहों पर पृथ्वी पर आ गिरा और बाकी 12 जगहों पर स्वर्ग में गिरा।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवासुर संग्राम के बाद समुद्रमंथन हुआ तो, समुद्रमंथन से भगवान धन्वंतरि स्वर्ण अमृत कलश लेकर प्रकट हुए।
लेकिन अमृत के जरिए अमर होने की चाह, सभी देवताओं और दानवों को थी। वो सभी उनके पीछे भागने लगे। इस बीच अमृत कलश से अमृत छलक 16 जगहों पर गिरा। जिनमें से चार पवित्र जगहों पर पृथ्वी पर और बाकी 12 जगहों पर स्वर्ग में गिरा।
पृथ्वी पर जिन 4 जगहों पर अमृत गिरा वो थीं, इलाहाबाद, नाशिक, उज्जैन और हरिद्वार। इन स्थानों पर हर 12वें वर्ष में महाकुंभ स्नान का आयोजन होता है।
इस वर्ष कुंभमेला नाशिक में है जो 14 जुलाई से आरंभ हो रहा है। 'नाशिक' भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक पवित्र शहर है। यह शहर महाराष्ट्र के उत्तर-पश्चिम में, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से करीब 150 किलोमीटर दूर है।
पं. धर्मेंद्र शास्त्री बताते हैं कि, 'भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य जब कुंभ राशी में होते है, तब इलाहाबाद में कुंभ मेला लगता जब सूर्य सिंह राशी में होते है, तब नाशिक में सिंहस्थ होता है। इसे कुंभ मेला भी कहते है। यह मेला बारह साल में एक बार लगता है।'
महाकुंभ के महा मेले में आए अनगिनत भक्त पवित्र नदी गोदावरी नदी में स्नान करते हैं। माना जाता है कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। गोदावरी नदीं, मां गंगा नदी का ही स्वरूप मानी गई हैं।