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    Basant Panchami 2025: अगले साल कब है बसंत पंचमी, एक क्लिक में जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Updated: Fri, 13 Dec 2024 12:39 PM (IST)

    बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) का त्योहार नई ऋतु यानी बसंत के आने का भी संदेश देता है। मान्यताओं के अनुसार जो भी साधक इस दि पर मां सरस्वती की सच्चे मन से आराधना करता है उसे ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं बसंत पंचमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के विषय में।

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    Basant Panchami 2025 अगले साल कब है बसंत पंचमी (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बसंत पंचमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से देवी सरस्वती के लिए समर्पित माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन पर माता सरस्वती की पूजा-अर्चना से साधक को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी मनाई जाती है। तो चलिए जानते हैं कि आने वाले साल में यह पर्व कब मनाया जाएगा।

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    वसंत पंचंमी शुभ मुहूर्त (Basant Panchami Shubh Muhurat)

    माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का शुभारंभ, 02 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 03 फरवरी को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व रविवार, 02 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त - सुबह 07 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर

    बसंत पंचमी मध्याह्न का क्षण - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर

    (Picture Credit: Freepik)

    इस तरह करें पूजा (Basant Panchami Puja Vidhi)

    बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान पर चौकी रखें और इसपर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजा में देवी को पीले रंग के वस्त्र, पीले या सफेद फूल, रोली, केसर, चंदन, और अक्षत आदि सामग्री अर्पित करें।

    भोग के रूप में मां सरसवती को पीले चावल, फल, मिठाई या फिर बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। आप पूजा स्थल पर शिक्षा से संबंधित सामग्री जैसे किताबें, कलम आदि के साथ-साथ वाद्य यंत्र आदि भी रख सकते हैं। सरस्वती जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती व उनके मंत्रों का जप करें। अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

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    सरसवती जी के मंत्र (Saraswati Ji ke Mantra)

    ॐ सरस्वत्यै नमः

    ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः

    ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः॥

    ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी

    वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा॥

    सरस्वती गायत्री मंत्र -

    ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।

    तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

    श्री सरस्वती पुराणोक्त मंत्र -

    या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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    सरस्वती वंदना मंत्र -

    या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,

    या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

    या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,

    सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

    शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,

    वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

    हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌,

    वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।