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    Bakrid 2025: बकरीद कब है? डेट को लेकर यहां दूर करें कन्फूयजन

    Updated: Thu, 08 May 2025 01:36 PM (IST)

    इस्लाम में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का पर्व बेहद पाक माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार यह हर साल जुल हिज्जा के दसवें दिन उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पर्व (Bakrid 2025) कब मनाया जाएगा? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं जो इस प्रकार है।

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    Bakrid 2025: क्यों मनाई जाती है बकरीद?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बकरीद, जिसे ईद उल-अजहा या ईद अल-अधा के नाम से भी जाना जाता है। यह इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार हर साल दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार, यह जुल हिज्जा के दसवें दिन पड़ता है।

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    इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है, जिससे कई बार लोगों में इसकी सही तारीख को लेकर कन्फूयजन बनी रहती है, तो आइए यहां इसकी (Bakrid 2025) तारीख को लेकर कन्फूयजन दूर करते हैं।

    कब है बकरीद? (Bakrid 2025 Kab Hai?)

    इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार, इस साल बकरीद का पर्व (बकरा ईद) 6 या 7 जून, 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि इसकी तारीख पूरी तरह से चांद दिखने के बाद ही आधिकारिक रूप से तय की जाती है। इसलिए पुष्टि के लिए चांद दिखने का इंतजार करना होगा।

    क्यों मनाई जाती है बकरीद?

    बकरीद पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति अटूट समर्पण की याद दिलाता है। अल्लाह ने इब्राहिम को अपने सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने का हुक्म दिया था। इब्राहिम ने अल्लाह के हुक्म को मानते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया।

    जब वह ऐसा करने ही वाले थे, तो अल्लाह ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया था और उसकी जगह एक बकरे की कुर्बानी हो चुकी थी। तभी से कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई और हर साल ईद उल अजहा पर कुर्बानी दी जाती है।

    बकरीद का धार्मिक महत्व (Bakrid 2025 Significance)

    बकरीद केवल कुर्बानी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह त्याग, बलिदान, और अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस दिन मुसलमान सुबह की नमाज अदा करते हैं और फिर जानवरों की कुर्बानी करते हैं। कुर्बानी के मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है - एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है। यह त्योहार आपसी भाईचारे, प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।