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    Bagalamukhi Jayanti पर वृद्धि योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (Bagalamukhi Jayanti 2025) तंत्र सीखने वाले साधकों के लिए बेहद खास होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में देवी मां बगलामुखी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही पूजा के समय उपाय किए जाते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां बगलामुखी साधक को मनचाहा वरदान प्रदान करती हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 28 Apr 2025 06:53 PM (IST)
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    Bagalamukhi Jayanti 2025: देवी मां बगलामुखी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। इस साल 05 मई को बगलामुखी जयंती है। इस दिन मासिक दुर्गा अष्टमी भी मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा और दस महाविद्याओं की आठवीं देवी मां बगलामुखी की पूजा की जाएगी। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाएगा।

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    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर वृद्धि योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में देवी मां बगलामुखी की पूजा करने से हर काम में सफलता मिलेगी। साथ ही शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। आइए, शुभ मुहूर्त, योग एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    वृद्धि योग

    ज्योतिषियों की मानें तो बगलामुखी जयंती पर वृद्धि का संयोग बन रहा है। वृद्धि योग का संयोग देर रात 12 बजकर 20 मिनट तक है। इस योग में देवी मां बगलामुखी की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही देवी मां की कृपा से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी।

    रवि योग

    बगलामुखी जयंती पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। रवि योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 36 मिनट तक है। इस योग में देवी मां बगलामुखी की पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी होगी।

    शिववास योग

    शिववास योग का संयोग भी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर है। इस योग का संयोग सुबह 07 बजकर 35 मिनट से हो रहा है। शिववास योग के दौरान भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस योग में देवी मां बगलामुखी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 59 मिनट पर
    • चंद्रोदय- दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर
    • चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 29 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 12 मिनट से 04 बजकर 55 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट से 07 बजकर 19 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक  

    पूजा विधि

    साधक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर लाल रंग के कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधिवत देवी मां बगलामुखी की पूजा करें। पूजा के समय देवी मां को लाल रंग का फल और फूल अवश्य ही अर्पित करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि में वृद्धि की कामना देवी मां बगलामुखी से करें।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।