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    Bagalamukhi Jayanti 2025: किस दिन मनाई जाएगी बगलामुखी जयंती? यहां दूर करें सही डेट का कन्फ्यूजन

    धार्मिक मत है कि देवी मां बगलामुखी की पूजा (Baglamukhi Jayanti 2025 Puja Vidhi) करने से शत्रुओं का भय समाप्त होता है। साथ ही साधक को अभयता का वरदान मिलता है। देवी मां बगलामुखी की महिमा अपरंपार है। उनके शरण में रहने वाले साधक जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर शक्तिपीठ मंदिरों में मां की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 06 Apr 2025 08:20 PM (IST)
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    Bagalamukhi Jayanti 2025: बगलामुखी जयंती का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख महीने में बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। यह दिन पूर्णतया देवी मां बगलामुखी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर देवी मां बगलामुखी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही साधक विशेष कामों में सफलता पाने के लिए व्रत रखते हैं। मां की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक मां बगलामुखी की कठिन साधना करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर मां बगलामुखी अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। साथ ही साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, बगलामुखी जयंती की सही डेट (Bagalamukhi Jayanti 2025 Date) और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

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    बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त (Bagalamukhi Jayanti Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 04 मई को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 05 मई को सुबह 07 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी।

    कब मनाई जाएगी बगलामुखी जयंती?

    पंचांग गणना और ज्योतिष निर्णय के अनुसार, 05 मई को बगलामुखी जयंती मनाई जाएगी। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग पूर्ण रात्रि तक है। इसके साथ ही रवि योग और सर्वार्थ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में देवी मां बगलामुखी की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी।

    पूजा विधि

    वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर सूर्योदय के समय उठें। इस समय देवी मां बगलामुखी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निपटने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।

    इसके बाद आचमन कर नवीन(नया) लाल रंग के कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधिवत देवी मां बगलामुखी की पूजा करें। साधक पूजा हेतु मंदिर भी जा सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो मंदिर जाकर देवी मां बगलामुखी की पूजा कर सकते हैं। पूजा के समय देवी मां बगलामुखी को फूल, फल, वस्त्र आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। अंत में आरती कर सुखों में वृद्धि की कामना करें।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।