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    Bade Hanuman Mandir में हर साल बजरंग बली के पांव पखारती हैं मां गंगा, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना

    Updated: Sat, 31 Aug 2024 01:50 PM (IST)

    भगवान हनुमान की पूजा बेहद ही कल्याणकारी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है। वहीं आज हम वीर हनुमान के एक ऐसे मंदिर की बात करेंगे जहां पर मां गंगा स्वयं उन्हें स्नान कराने के लिए हर साल आती हैं तो चलिए जानते हैं।

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    Bade Hanuman Mandir: भगवान हनुमान की एकमात्र लेटी हुई प्रतिमा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत में अनेकों मंदिर हैं, जिनसे जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक यूपी की धर्म नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज में संगम किनारे हनुमान जी का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां पर हर रोज भक्तों की भारी मात्रा में भीड़ उमड़ती है। इस धाम में दर्शन करने के लिए लोग देश नहीं बल्कि विदेश से भी आते हैं।

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    ऐसा कहा जाता है कि यहां एक बार दर्शन मात्र से व्यक्ति को संगम तट का पूर्ण पुण्य प्राप्त हो जाता है, तो आइए बजरंगबली के इस दिव्य मंदिर (Bade Hanuman Temple) से जुड़ूी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।

    भगवान हनुमान की एकमात्र लेटी हुई प्रतिमा

    भगवान हनुमान की इस प्रतिमा को प्रयाग का कोतवाल भी कहा जाता है। इस मंदिर में रामभक्त लेटे हुए विराजमान हैं। यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी महाराज लेटे हुए मुद्रा में है।

    इस मूर्ति के पैर दक्षिण की ओर और सिर उत्तर की ओर है। इसके साथ ही यहां पर बजरंगबली की प्रतिमा जमीन से 6 से 7 फीट नीचे है।

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    हर साल मां गंगा कराती हैं स्नान

    पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम की आज्ञा से पवन पुत्र संगम तट पर विश्राम करने पहुंचे थे। वहीं, उन्हें भोलेनाथ ने यह वरदान भी दिया था कि देवी गंगा कहीं भी रहेंगी, लेकिन वह उन्हें हर साल स्नान कराने यहां पर अवश्य आएंगी, जिसकी झलक आज भी देखने को मिलती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, यदि पापनाशिनी मां गंगा जिस वर्ष उन्हें स्नान नहीं करवाती हैं, तो वह अगले वर्ष उन्हें कई बार स्नान कराकर उस वर्ष की कमी को पूर्ण कर देती हैं।

    इसके साथ ही इस दिव्य स्नान से पूजा के किसी भी अनुष्ठान में कोई भी रुकावट नहीं आती है। वे बिना बाधा के पूर्ण होते हैं। कहा जाता है कि यह चमत्कारी गंगा स्नान प्रयाग नगरी की सुख और समृद्धि का भी प्रतीक है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।