Durga Ashtami 2025: शुभ समेत कई मंगलकारी योग में मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी, बरसेगी देवी मां की कृपा
सनातन धर्म में अष्टमी (Sawan Durga Ashtami 2025 Yoga) तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन पूर्णतया देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर जगत जननी देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी तिथि का व्रत रखा जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 01 अगस्त को सावन माह की दुर्गा अष्टमी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर देवी मां दुर्गा की कृपा बरसती है।
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शुभ योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में देवी मां दुर्गा की पूजा एवं भक्ति करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही साधक के जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है। कहते हैं कि देवी मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। आइए, दुर्गा अष्टमी का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
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मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)
01 अगस्त को सुबह 04 बजकर 58 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी और 02 अगस्त को सुबह 07 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। देवी मां दुर्गा की पूजा निशा काल में होती है। इसके लिए 01 अगस्त के दिन सावन महीने की दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।
मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ योग (Masik Durga Ashtami Shubh Yog)
सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शुभ योग का संयोग बन रहा है। शुभ योग का संयोग रात भर है। ज्योतिष शुभ योग को मंगलकारी मानते हैं। इस योग में शुभ काम कर सकते हैं। साथ ही शुभ योग में देवी मां दुर्गा की पूजा करने से सभी कामों में सफलता और शुभता प्राप्त होगी। इसके साथ ही सावन माह की दुर्गा अष्टमी पर भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। भद्रा योग शाम 06 बजकर 10 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। इन योग में देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान प्राप्त होगा।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 12 मिनट पर
- चन्द्रोदय- दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 11 बजकर 28 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 01 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से 03 बजकर 36 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 12 मिनट से 07 बजकर 33 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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