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    Ashadh Month Ekadashi 2025: आषाढ़ महीने में कब-कब है एकादशी व्रत? एक क्लिक में जानें डेट और पूजा विधि

    Updated: Wed, 11 Jun 2025 01:30 PM (IST)

    आषाढ़ माह (Ashadh Month Ekadashi 2025) में पड़ने वाली एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस व्रत को रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है तो आइए यहां इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Ashadh Month Ekadashi 2025: आषाढ़ एकादशी डेट और टाइम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व है। आषाढ़ माह में भी पड़ने वाली एकादशी बहुत फलदायी मानी जाती है। ये भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इन एकादशी (Ashadh Month Ekadashi 2025) का उपवास रखने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस माह ये व्रत कब-कब पड़ेगा और इसकी पूजा विधि क्या है?

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    योगिनी एकादशी कब है? (Yogini Ekadash Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी 21 जून को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 22 जून को सुबह 4 बजकर 27 मिनट होगा। पंचांग को देखते हुए योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून, 2025 को किया जाएगा।

    देवशयनी एकादशी कब है? (Devshayani Ekadashi 2025 Date And Time)

    पंचांग गणना के आधार पर आषाढ़ महीने शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जुलाई को शाम को 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 06 जुलाई को रात 9 बजकर 14 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत 06 जुलाई,2025 को रखा जाएगा।

    भगवान विष्णु की पूजा विधि (Ashadh Month Ekadashi 2025 Puja Rituals)

    • साधक सुबह स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
    • मंदिर की सफाई करें और एक वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है, इसलिए पूजा में पीले फूल, पीले वस्त्र, पीली मिठाई, पीले फल, चंदन, तुलसी दल, धूप, दीप आदि शामिल करें।
    • सबसे पहले भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें।
    • इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाएं।
    • चंदन का तिलक लगाएं।
    • फूल, तुलसी दल और भोग चढ़ाएं।
    • धूप और दीप जलाएं।
    • भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
    • एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
    • अंत में आरती करें और पूजा में हुई गलती के लिए माफी मांगे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।