Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी के दिन करें भगवान विष्णु की ये आरती, घर स्वयं चलकर आएंगी मां लक्ष्मी

    ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी 2 जून यानी आज मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही घर में बरकत बनी रहती है। ऐसे में अगर आप उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो एकादशी (Apara Ekadashi 2024) का उपवास रखें और भाव के साथ उनकी आराधना करें। अंत में पूजा का समापन आरती से करें।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 02 Jun 2024 07:00 AM (IST)
    Hero Image
    Apara Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की आरती -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी 2 जून, 2024 यानी आज मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही घर में बरकत बनी रहती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे में अगर आप उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो एकादशी का उपवास रखें और भाव के साथ उनकी आराधना करें। अंत में पूजा का समापन यहां दी गई आरती से करें, जो इस प्रकार है -

    ।।भगवान विष्णु की आरती।।

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

    भगवान विष्णु की आरती

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

    स्वमी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे।

    यह भी पढ़ें: Lord Shiv: कार्तिक और गणेश के अलावा ये भी हैं भगवान शिव की संतान, जानिए इनसे जुड़ी मान्यताएं

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।