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    Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी पर करें देवी तुलसी की विशेष पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और विधि

    अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) का व्रत हिंदुओं के बीच बहुत महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से सौभाग्य और खुशी में वृद्धि होती है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार यह व्रत परम लाभकारी माना गया है। साथ ही यह श्री हरि विष्णु को बेहद प्रिय है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 01 Jun 2024 09:19 AM (IST)
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    Apara Ekadashi 2024: तुलसी पूजा विधि -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) को बहुत पुण्यदायी माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। यह ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी है, जो 2 जून, 2024 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं उन्हें धन-दौलत और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है, तो चलिए इस व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

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    अपरा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की एकादशी तिथि की शुरुआत 2 जून, 2024 सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर होगी। इसके साथ ही इसका समापन अगले दिन 03 जून, 2024 मध्य रात्रि 02 बजकर 41 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल अपरा एकादशी 2 जून को मनाई जाएगी।

    तुलसी पूजा विधि

    • साधक ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें ।
    • भगवान शालिग्राम को देवी तुलसी के पास स्थापित करें।
    • उन्हें गंगाजल, पंचामृत व शुद्ध जल चढ़ाएं।
    • कुमकुम व गोपी चंदन, हल्दी का तिलक लगाएं।
    • तुलसी के पौधे को साड़ी या दुपट्टे और अन्य शृंगार के सामान के साथ खूबसूरती से सजाएं।
    • शालिग्राम जी का शृंगार करने के लिए पीले वस्त्रों का प्रयोग करें।
    • भगवान शालिग्राम और माता तुलसी को फूलों की माला अर्पित करें।
    • इस शुभ अवसर पर कीर्तन और भजन अवश्य करें।
    • विभिन्न सात्विक भोग प्रसाद सामग्री अर्पित करें।
    • देवी के मंत्रों का जाप करें।
    • माता तुलसी और भगवान विष्णु की आरती से पूजा पूर्ण करें।
    • सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद प्रसाद को परिवार के सदस्यों के बीच बांटे।
    • पूजा में हुई गलती के लिए माफी मांगे।
    • अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।