Amalaki Ekadashi 2025: एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाना चाहिए? जानिए इसके पीछे की वजह
आमलकी एकादशी का व्रत सभी व्रतों में प्रमुख माना जाता है। इस दिन श्री हरि के भक्त विष्णु जी और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस साल यह व्रत फाल्गुन महीने में 10 मार्च (Amalaki Ekadashi 2025) को रखा जाएगा। वहीं इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं जिनमें से एक चावल न खाना भी है तो आइए इस आर्टिकल में इसकी वजह जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आमलकी एकादशी का व्रत बहुत पावन माना जाता है। हिंदुओं में एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। आमलकी एकादशी पर भक्त कठोर उपवास रखते हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 10 मार्च को एकादशी मनाई जाएगी, तो आइए यहां जानते हैं कि एकादशी तिथि (Amalaki Ekadashi Vrat Niyam) पर चावल क्यों नहीं खाते हैं?
एकादशी पर क्यों नहीं खाया जाता चावल? (Why Avoid Rice On Ekadashi?)
एकादशी तिथि पर चावल न खाने की सलाह दी जाती है। विष्णु पुराण के अनुसार, इस तिथि पर चावल खाने से घर में दरिद्रता आती है। साथ ही इससे व्यक्ति का पुण्य समाप्त होता है। ऐसा कहते हैं कि चावल को हविष्य अन्न (देवताओं का भोजन) कहा जाता है। इसी वजह से देवी-देवताओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए एकादशी तिथि पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, जगत जननी के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था और उनके अंश पृथ्वी में समा गए और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए, जब महर्षि मेधा का अंश धरती में समाया था।
उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए माना जाता है कि जो लोग इस दिन चावल का सेवन करते हैं, वे महापाप के भागीदार बनते हैं, क्योंकि यह उनके मांस और रक्त का सेवन करने के समान माना जाता है।
आमलकी एकादशी 2025 डेट और टाइम (Amalaki Ekadashi 2025 Kab Hai?)
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 मार्च को रात 07 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 10 मार्च (Amalaki Ekadashi 2025 Date And Time) को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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