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    Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी पर कैसे करें मां तुलसी की पूजा? जानिए पूजा का सही नियम

    Updated: Mon, 03 Mar 2025 11:39 AM (IST)

    आमलकी एकादशी अपने आप में बहुत खास होती है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस साल यह फाल्गुन महीने में 10 मार्च (Amalaki Ekadashi 2025 Puja Vidhi) को मनाई जाएगी। इस दिन उपवास रखने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। वहीं इस दिन तुलसी पूजन का भी बड़ा महत्व है।

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    Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी व्रत हिंदू धर्म में सबसे शुभ अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त विष्णु जी का आशीर्वाद पाने के लिए गहरी भक्ति के साथ व्रत और पूजा करते हैं। साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं, जो महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के दौरान आती हैं। वहीं, इस साल 10 मार्च (Amalaki Ekadashi Kab hai 2025?) को आमलकी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन तुलसी पूजा का काफी ज्यादा महत्व है। ऐसे में आइए यहां पर तुलसी पूजा की सही विधि जानते हैं।

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    आमलकी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi 2025 Kab Hai?)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 मार्च को रात 07 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 10 मार्च (Amalaki Ekadashi Kab hai 2025?) को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

    तुलसी पूजा विधि (Tulsi Puja Vidhi)

    • प्रात काल जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
    • पूजा घर को साफ करें।
    • इसके बाद तुलसी जी और भगवान विष्णु को एक साथ स्थापित करें और विधिवत पूजा करें।
    • मां तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं।
    • उन्हें कुमकुम अर्पित करें।
    • 16 शृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
    • आंटे के हलवे और ऋतु फल का भोग लगाएं।
    • तुलसी जी की 11 या 21 बार परिक्रमा करें।
    • इसके बाद तुलसी चालीसा व कवच का पाठ करें।
    • आखिरी में आरती करें।
    • शंखनाद करें।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
    • तामसिक चीजों से दूर रहें।
    • पूजा में पवित्रता का खास ख्याल रखें।

    पूजा मंत्र ( Puja Mantra)

    1. वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।