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    सीता जी में थे ये सभी गुण...

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Sat, 14 May 2016 04:28 PM (IST)

    ऐसे में सीता जी की इन 6 बातों को यदि जिंदगी में शामिल किया जाए, तो दांपत्य जीवन सुंदर बनाया जा सकता है।

    त्रेतायुग में श्रीराम और सीता का चरित्र सबसे उत्तम और आदर्श माना गया है। जिसका संपूर्ण उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। जिसका अनुसरण यदि वर्तमान में भी किया जाए तो हरेक व्यक्ति का दांपत्य जीवन सुखमय हो सकता है।

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    ऐसे में सीता जी की इन 6 बातों को यदि जिंदगी में शामिल किया जाए, तो दांपत्य जीवन सुंदर बनाया जा सकता है।

    सीता का समर्पण: श्रीरामचरित मानस में एक प्रसंग है। जब श्रीराम और सीता ने विवाह के बाद पहली बार बात की तो राम ने सीता को वचन दिया कि वे जीवनभर उन के प्रति निष्ठावान रहेंगे। उनके जीवन में कभी कोई दूसरी स्त्री नहीं आएगी। सीता ने भी वचन दिया कि हर सुख और दुख में वे साथ रहेंगी। श्रीराम और सीता ने पहली बातचीत में भरोसे और समर्पण का वादा किया।

    श्रीराम का वनवास गमन: जब श्रीराम को वनवास जा रहे थे तब वह चाहते थे सीता जी मां कौशल्या के पास ही रुक जाएं। जबकि सीता श्रीराम के साथ वनवास जाना चाहती थीं। कौशल्या भी चाहती थीं कि सीता वनवास न जाए। इस विषय पर सीता की इच्छा और श्रीराम, कौशल्या की इच्छा अलग-अलग थी।

    आज के समय में सास, बहू और बेटा, इन तीनों के बीच मतभेद होते हैं तो परिवार में तनाव बढ़ जाता है, लेकिन रामायण में श्रीराम के धैर्य, सीताजी और कौशल्याजी की समझ से सभी मतभेद दूर हो गए।

    ऐसे समझी राम के मन की बात: केवट की नाव में जब सीता ने श्रीराम के चेहरे पर संकोच के भाव देखे तो सीता ने तुरंत ही अपनी अंगूठी उतारकर उस केवट को भेंट में देनी चाही, लेकिन केवट ने अंगूठी नहीं ली। केवट ने कहा कि वनवास पूरा करने के बाद लौटते समय आप मुझे जो भी उपहार देंगे मैं उसे प्रसाद समझकर स्वीकार कर लूंगा।

    चेहरे पर संकोच : श्रीराम के चेहरे पर संकोच के के भाव देखते ही समझ सीता जी समझ गईं कि राम, केवट को कुछ भेंट देना चाहते हैं, लेकिन उनके पास देने के लिए कुछ नहीं था। यह बात समझते ही सीता ने अपनी अंगूठी उतारकर केवट को देने के लिए आगे कर दी।

    श्रीरामचरितमानस के इस प्रसंग में उल्लेखित है कि पति और पत्नी के बीच ठीक इसी प्रकार की समझ होनी चाहिए। वैवाहिक जीवन में दोनों की आपसी समझ जितनी मजबूत होगी, वैवाहिक जीवन उतना ही ताजगीभरा और आनंददायक बना रहेगा।

    वन में रहे साथ : सीता जी और राम जी वन में साथ रहे उनकी यह बात इंगित करती है कि पति-पत्नी गृहस्थी की धुरी होते हैं। इनकी सफल गृहस्थी ही सुखी परिवार का आधार होती है। अगर पति-पत्नी के रिश्ते में थोड़ा भी दुराव या अलगाव है तो फिर परिवार कभी खुश नहीं रह सकता। परिवार का सुख, गृहस्थी की सफलता पर निर्भर करता है।

    सीता में थे ये सभी गुण: स्त्री में ऐसे कई श्रेष्ठ गुण होते हैं जो पुरुष को अपना लेना चाहिए। प्रेम, सेवा, उदारता, समर्पण और क्षमा की भावना स्त्रियों में ऐसे गुण हैं, जो उन्हें देवी के समान सम्मान और गौरव प्रदान करते हैं।

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