Aaj ka Panchang 4 June 2025: आज मनाया जा रहा है महेश नवमी का पर्व, एक क्लिक में पढ़ें पंचांग
आज यानी 04 जून को महेश नवमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व को माहेश्वरी समाज के लोग बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं। ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक के अनुसार महेश नवमी के दिन पर कई अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए आज के अशुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 4 जून को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। हर साल इस इस तिथि पर महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन महादेव की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। महेश नवमी के दिन कई अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आज का (Aaj ka Panchang 4 June 2025) पंचांग।
तिथि: शुक्ल नवमी
मास पूर्णिमांत: ज्येष्ठ
दिन: बुधवार
संवत्: 2082
तिथि: नवमी 11 बजकर 54 मिनट तक
योग: वज्र प्रात: 08 बजकर 29 मिनट तक
करण: बलव प्रातः 10 बजकर 51 मिनट तक, कौलव रात्रि 11 बजकर 54 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 16 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 01 बजकर 16 मिनट पर
चन्द्रास्त: 5 जून को रात 01 बजकर 33 मिनट पर
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: कोई नहीं
अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: प्रात10 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक
यमगंडा: प्रात: 07 बजकर 07 मिनट से प्रात: 08 बजकर 51 मिनट तक
राहु काल: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से दोपहर 02 बजकर 04 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र: 5 जून को प्रातः 03 बजकर 35 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: व्यावहारिक, मेहनती, भरोसेमंद, तीव्र स्वभाव वाले, अध्ययनशील, विनम्र,उदार, संबंधों में वफादार और मित्रों के लिए समर्पित
नक्षत्र स्वामी: सूर्य
राशि स्वामी: सूर्य, बुध
देवता: आर्यमन (मित्रता के देवता)
गुण: राजस
प्रतीक: बिस्तर
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पूजा के दौरान करें महादेव के इन मंत्रो का जप
1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।
4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
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