Aaj Ka Panchang 4 July 2025: शुक्रवार के दिन बन रहे हैं कई शुभ योग, एक क्लिक में पढ़ें शुभ मुहूर्त और पंचांग
पंचांग के अनुसार आज आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। ऐसे में एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का (Aaj Ka Panchang 4 July 2025) पंचांग व शुभ-अशुभ मुहूर्त के विषय में।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। Aaj Ka Panchang 4 July 2025: आज शुक्रवार का दिन है। यह मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें धन-दौलत, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। आज के दिन (4 July 2025 Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 4 July 2025: आज का पंचांग -
- सूर्य राशि - मिथुन
- चंद्र राशि - तुला
- पक्ष - शुक्ल
- तिथि - नवमी शाम 04:31 बजे तक
- योग - शिव शाम 07:36 बजे तक
- करण - कौलव शाम 04:31 बजे तक
- करण - तैतिल पूर्ण रात्रि तक।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर
- चन्द्रोदय - देर रात 01 बजकर 47 मिनट पर
- चंद्रास्त - दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
- अभिजीत - प्रात: 11:58 बजे से दोपहर 12:53 बजे तक
- अमृत काल - प्रात: 09:38 बजे से प्रात: 11:26 बजे तक ।
अशुभ समय
- गुलिक काल - सुबह 07:12 बजे से प्रात: 08:57 बजे तक
- यमगंड - दोपहर 03:54 बजे से शाम 05:39 बजे तक
- राहु काल - सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक।
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
- चित्रा नक्षत्र - दोपहर 04:50 बजे तक
- सामान्य विशेषताएं - बुद्धिमत्ता, शालीनता, जटिलताओं की समझ, सुंदर शारीर, आकर्षक आंखें, अच्छे वस्त्र- आभूषणों का शौक, चिड़चिड़ापन और मजबूत इच्छाशक्ति।
- नक्षत्र स्वामी - मंगल देव
- राशि स्वामी - बुध, शुक्र
- देवता - त्वष्टा (सृजन के देवता)
- प्रतीक - रत्न
करें इन मंत्रों का जाप
1. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
3. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
4. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः
5. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।
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Note - यह दैनिक पंचांग Astropatri.com के सौजन्य से प्रस्तुत है। सुझाव व प्रतिक्रियाओं के लिए hello@astropatri.com पर ईमेल करें।
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